वर्गविहीन समाज sentence in Hindi
pronunciation: [ vergavihin semaaj ]
Examples
- संसदीय वामपंथ भारतीय लोकतंत्र का एक ऐसा सवर्ण चेहरा है, जो भूख, गरीबी, शिक्षा, भेदभाव, शोषण और वर्गविहीन समाज के नाम पर वंचितो-शोषितों को बरगलाने का काम करता है और इस ‘लोकतंत्र' को चिरंजीवी बनाने का भी।
- चारू मजूमदार ने माओ से प्रभावित होकर ही ' एनीहिलेशन थियरी ' का प्रतिपादन किया था जिसका मतलब था कि वर्गविहीन समाज बनाने के लिये अगर एक एक वर्ग शत्रु को मौत के घाट भी उतारना पड़े तो सही है।
- संसदीय वामपंथ भारतीय लोकतंत्र का एक ऐसा सवर्ण चेहरा है, जो भूख, गरीबी, शिक्षा, भेदभाव, शोषण और वर्गविहीन समाज के नाम पर वंचितो-शोषितों को बरगलाने का काम करता है और इस ‘ लोकतंत्र ' को चिरंजीवी बनाने का भी।
- एम बी के साथ मुख्य दिक्कत यह है कि मार्क्स ने पूँजीवाद और सर्वहारा के बीच सार्वभौमिक अंतर्विरोध के बारे में जो कहा उसे उन्होंने यांत्रिक तरीके से ऐसी क्रांति के संदर्भ में समझ लिया जो पूँजीवादी समाज की जगह वर्गविहीन समाज की स्थापना करती है ।
- मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्था का अंत करना है।
- मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्था का अंत करना है।
- दलितों के व्यापक हिस्से की गोलबंदी की जाये और एक ऐसा कार्यक्रम बनना चाहिए जो भारत में जातिप्रथा की कब्र खोद सके, जिससे कि वर्गीय संगठनों के साथ तालमेल करता हुआ यह आन्दोलन भारत में जातिविहीन, वर्गविहीन समाज के निर्माण की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान कर सके.
- जब हम जाति की आधुनिकता के दूसरे दौर में पहुंचे, यानी स्वाधीनोत्तर भारत में जाति का स्थान तय करने का अवसर आया, तो संविधानसभा ने तीन साल की लंबी बहस के बाद सर्वसम्मति से भविष्य के भारत के लक्ष्य के तौर पर जातिविहीन और वर्गविहीन समाज की रचना का संकल्प लिया।
- मार्क्सवाद वर्ग संघर्ष के ज़रिये समाज में से वर्ग विभेदों को मिटाने, मनुष्य के हाथों मनुष्य के शोषण का अन्त करने तथा समाजवाद को वर्गविहीन समाज ले जाने का रास्ता पेश करता है जबकि अम्बेडकर की राजनीति शोषण-उत्पीड़न की बुनियाद पर टिकी पूँजीवादी व्यवस्था का अंग बनकर इसी व्यवस्था में कुछ सुधारों से आगे नहीं जाती है।
- परिणामतः जब हम जाति की आधुनिकता के दूसरे दौर में पहुंचे, यानी स् वाधीनोत् तर भारत में जाति का स् थान तय करने का अवसर आया तो संविधान सभा ने तीन साल की लंबी बहस के बाद सर्वसम् मति से भविष् य के भारत के लक्ष् य के तौर पर जातिविहीन और वर्गविहीन समाज की रचना का संकल् प किया.