लोक आख्यान sentence in Hindi
pronunciation: [ lok aakheyaan ]
"लोक आख्यान" meaning in English
Examples
- यह आख्यान इस अर्थ में महत्वपूर्ण है, क्यों कि यह सिद्ध करता है कि, लोक आख्यान, जन समुदाय विशेष की पारिस्थितिकी / प्राकृतिक पर्यावास के दायरे में ही पल्लवित होते हैं!
- (दो माह से ज्यादा समय गुज़रा, कार्याधिक्य के चलते, कोई पोस्ट नहीं डाली, सोचा ब्लॉग मृतप्राय दिखे इससे बेहतर है कि मैं लोक आख्यान के नाम से ही उसे आक्सीजन दे दूं)
- आफ्लातून भाई, लोक आख्यान को किसी पूर्ववर्ती (अन्य) भाषाई संग्राहक से लेकर अपनी भाषा में रूपांतरित करते वक्त कथा की मूल भावना को बनाये रखने का ख्याल ही जेहन में हावी रहता है!
- 1857 के गदर पर, बाबू कुंवर सिंह पर, अनाम-गुमनाम नायकों पर, राष्ट्रप्रेमी तवायफों पर न जाने कितनी किताबें आईं, अनुसंधान हुए, लोकगीत रचे गए, उनसे जुड़े लोक आख्यान हैं, किंवदंतियां हैं, लेकिन धरमन शायद ही कहीं दिखती हों!
- मंडला जिले के एक लोक आख्यान के मुताबिक़, प्रारम्भ में मनुष्य यौन क्रियाओं के विषय में नहीं जानता था! तब एक बूढा व्यक्ति और एक स्त्री अपने पुत्र के साथ रहते थे, जिसका जन्म अपने अभिभावकों के दैहिक संसर्ग के बिना ही हुआ था!
- हाथ में मूसल देने के रंग प्रयोग से हबीब तनवीर ने लोक आख्यान के उस विश्वास को पुष्ट कर डाला कि सोरर गांव और चिरचारी (बहादुर कलारिन का गांव) की पथरीली जमीन पर अनगिनत गोल-गोल गड्ढ़े हैं जिनके बारे में विख्यात है कि ये ओखलियां थी।
- हाथ में मूसल देने के रंग प्रयोग से हबीब तनवीर ने लोक आख्यान के उस विश्वास को पुष्ट कर डाला कि सोरर गांव और चिरचारी (बहादुर कलारिन का गांव) की पथरीली जमीन पर अनगिनत गोल-गोल गड्ढ़े हैं जिनके बारे में विख्यात है कि ये ओखलियां थी।
- युगांडा का यह लोक आख्यान, आदिम युगीन जीवन में जीवित बने रहने के न्यूनतम अवसरों पर अपना हस्तक्षेप / अपना अधिकार बनाये रखने के संघर्ष / आपाधापी के बीच स्त्री और पुरुष के पारस्परिक नैसर्गिक आकर्षण और फिर उस आकर्षण के एक निश्चित परिणति तक पहुंच जाने की कथा है!
- कोंड आदिवासियों का लोक आख्यान कहता है कि भीम (देवपुरुष) नें उनके मुखिया की पुत्रियों के स्नान करते समय, जलकुंड से बाहर रखे वस्त्रों को उड़ाने (चोरी करने) में वायु देवता की मदद ली! निसंदेह यह घटना भगवान श्री कृष्ण की लीला से साम्य रखती हुई स्थानिक घटना है जिसमें लिप्त भीम महाभारत के भीम हरगिज़ भी नहीं हैं!
- उन्होंने अद्र्धागिनी, दो दु: खों का एक सुख, इब्बू-मलंग, गोपुली-गफुरन, नदी किनारे का गांव, सुहागिनी, पापमुक्ति जैसी कई श्रेष्ठ कहानियां तथा कबूतरखाना, किस्सा नर्मदा बेन गंगू बाई, चिट्ठी रसैन, मुख सरोवर के हंस, छोटे-छोटे पक्षी जैसे उपन्यास तथा लेखक की हैसियत से, बेला हुइ अबेर जैसी विचारात्मक तथा लोक आख्यान से संबद्ध उत्कृष्ट कृतियां हिंदी जगत को दीं।