लालढांग sentence in Hindi
pronunciation: [ laaledhaanega ]
Examples
- उसी दिन आशारोड़ी के रेंजर विनय मोहन रतूड़ी ने इस गुलदार के घायल होने की आशंका जताई थी, जो सच साबित हुई और 3 अप्रैल के दिन यह गुलदार लालढांग में मृत मिला।
- देहरादून के विकासनगर, सहसपुर और डोईवाला, हरिद्वार के लालढांग और बहादराबाद, नैनीताल के रामनगर, पौड़ी के दुगड्डा, ऊधमसिंहनगर के गदरपुर, बाजपुर और काशीपुर में बोक्सा परिवार बसे हुए हैं।
- उत्तरी नयार क्षेत्रों को छोड़कर धुमाकोट, यमकेश्वर, सतपुली, लैंसडाउन, कोटद्वार और हरिद्वार की लालढांग तहसील को शामिल कर बनाए गए इस जिले के मुख्यालय के लिए अलग-अलग मांग हो रही है।
- इस साक्षी ने अपने शपथपूर्वक बयान में कहा है कि उसकी लड़की का नाम रविना है तथा घटना के समय वह 13 वर्ष की थी तथा वह लालढांग स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ती थी।
- उधमसिंह नगर के सितारगंज, किच्छा, जसपुर, नैनीताल के कालाढूंगी, हल्द्वानी, हरिद्वार के बाहदराबाद, मंगलौर, पीरान कलियर, लालढांग, देहरादून के सहसपुर सीटों पर मुस्लिम मत निर्णायक स्थिति में हैं।
- नाम पता पूछने पर लड़के ने अपना नाम राजेन्द्र कुमार पुत्र हरिकिशन सिंह निवासी ग्राम भरतपुर थाना बड़ापुर जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश बताया तथा लड़की ने अपना नाम कु. रविना पुत्री महेन्द्र सिंह निवासी डालूपुरी पोस्ट लालढांग हरिद्वार बताया।
- नवरात्र पर शहर के मंदिरों में विशेषकर लालढांग, लक्सर, धनौरी, कनखल स्थित रामलीला मैदान, ज्वालापुर स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर,कनखल में सुरत गिरी बंगला आश्रम, दक्षिण काली मंदिर,शीतला देवी मंदिर समेत विभिन्न में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था।
- ठेकेदार साहब की बहुत बड़ी हवेली थी | अंग्रेज़ों के ज़माने में लालढांग से लेकर देहरादून तक के कत्थे और बाँस के सारे जंगलात का ठेका उन्हें ही मिलता था | लालढांग से लेकर देहरादून तक ऊपर पहाड़ ही पहाड़ काफ़ी घना बाँसों का जंगल था | लालढांग में ठेकेदार साहब के पिताजी-जिनका नाम नीलम को कभी पता नहीं चल सका सिवाय “
- ठेकेदार साहब की बहुत बड़ी हवेली थी | अंग्रेज़ों के ज़माने में लालढांग से लेकर देहरादून तक के कत्थे और बाँस के सारे जंगलात का ठेका उन्हें ही मिलता था | लालढांग से लेकर देहरादून तक ऊपर पहाड़ ही पहाड़ काफ़ी घना बाँसों का जंगल था | लालढांग में ठेकेदार साहब के पिताजी-जिनका नाम नीलम को कभी पता नहीं चल सका सिवाय “
- ठेकेदार साहब की बहुत बड़ी हवेली थी | अंग्रेज़ों के ज़माने में लालढांग से लेकर देहरादून तक के कत्थे और बाँस के सारे जंगलात का ठेका उन्हें ही मिलता था | लालढांग से लेकर देहरादून तक ऊपर पहाड़ ही पहाड़ काफ़ी घना बाँसों का जंगल था | लालढांग में ठेकेदार साहब के पिताजी-जिनका नाम नीलम को कभी पता नहीं चल सका सिवाय “