लांछन लगाना sentence in Hindi
pronunciation: [ laanechhen legaaanaa ]
"लांछन लगाना" meaning in English
Examples
- लोग कहते हैं कि अपशब् दों का प्रयोग करना हो, किसी को बुरा-भला कहना हो, किसी भद्र व् यक्ति पर लांछन लगाना हो तो इटैलियन मैडम इसी को आगे कर देती है....
- मेरे ऊपर लांछन लगाना बहुत बडा मानवीय कारनामा नहीं है, फिर हिम्मत है, तो सामने आओ न, '' इस तरह का वार्तालाप वह किसको सम्बोधित करके करता था, नयना समझ नहीं पाती थी।
- परंतु इस विषय पर जब तक पी ए सी की जांच पूरी न हो जाए तथा उच्चतम् न्यायालय अपना निर्णय न दे दे तब तक किसी निर्णय पर पहुंचना या किसी पर बेवजह मात्र संदेह के आधार पर लांछन लगाना जल्दबाज़ी होगी।
- पुत्र सोचता है कि मैं सर्वथा निर्दोष हूँ, खेलने जाने की धुन में पिता को पानी का गिलास देना भूल गया था या उपेक्षा कर गया था, इतनी सी बात पर इतना क्रोध करना, लांछन लगाना, दण्ड देना कितना अनुचित है।
- हरिया के पिता की मृत्यु के बाद उन लोगों द्वारा हरिया को परेशान करना, बिरजुन द्वारा रामदेई को छेड़ने की घटना, उसके ग्राम प्रधान पिता और अन्य बाहुबलियों द्वारा दवाब बनाकर रामदेई पर चारित्रिक लांछन लगाना आदि उसे आज भी भीतर तक परेशान कर देता है।
- स्पष्टीकरण १-किसी मृत व्यक्ति को कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा यदि वह लांछन उस व्यक्ति की ख्याति की, यदि वह जीवित होता, अपहानि करता और उसके परिवार या अन्य निकट सम्बन्धियों की भावनाओं को उपहत करने के लिए आशयित हो.
- हरिया के पिता की मृत्यु के बाद उन लोगों द्वारा हरिया को परेशान करना, बिरजुन द्वारा रामदेई को छेड़ने की घटना, उसके ग्राम प्रधान पिता और अन्य बाहुबलियों द्वारा दवाब बनाकर रामदेई पर चारित्रिक लांछन लगाना आदि उसे आज भी भीतर तक परेशान कर देता है।
- नहीं, कभी नहीं | विवेकानंद ने तो काली माँ से अपने परिवार के लिए भी कुछ नहीं मांगा था | मांगा था तो विश्वहित के लिए | किसी को स्वार्थी कहने का लांछन लगाना महज अपने अंदर झांककर निरपेक्ष भाव से दुनियावी हकीकत को देखने के तुल्य है।
- शालीनता की सीमा को लाँघते हुए अर्नगल एवं अपमानजनक भाषा का प्रयोग तथा बयानों, पोस्टर, होर्डिंग्स आदि द्वारा राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी के चाल एवं चरित्र पर लांछन लगाना, राजनैतिक दलों और समाजों के बीच धर्म, जात-पात को लेकर वैमनस्यता उत्पन्न करने की आदर्श आचरण संहिता में स्पष्ट मनाही है।
- अपनी वासनाओ को खुले आम ब्यक्त करने के लिए कृष्ण और राधा के चरित्र पर लांछन लगाना क्या इतना जरूरी हो गया था...?.. इन सबके बावजूद दावा करते हो कि.... '' ' भगवान भी तुम्हारे साथ है. '' अपनी इन्ही आदतों के कारण मानव समाज भोगता है. अपमान और विनास।