राष्ट्रीय न्यास sentence in Hindi
pronunciation: [ raasetriy neyaas ]
"राष्ट्रीय न्यास" meaning in English
Examples
- राष्ट्रीय न्यास द्वारा इन नि: शक्तजनों के सामाजिक सुरक्षा एवं पुर्नवास की दिशा में ‘ निरामया ‘ स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गई है जिसमें इनके इलाज हेतु एक लाख रूपये प्रतिवर्ष उपलब्ध कराने का प्रावधान है ।
- इस रैली में आए विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय न्यास द्वारा मानसिक मंदता, आटिज्म, बहु नि: शक्तता एवं मानसिक पक्षाघात इन चार प्रकार की समस्याओं से प्रभावितों के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी ।
- इन विकलांगताओं का विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों की रक्षा और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम-1995 में और स्वलीनता, मस्तिष्क पक्षाघात, मंदबुद्धि और बहु-विकलांगता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम-1999 में उल्लेख है।
- स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहुविकलांगताग्रस्त व्यिक्तियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999: यह अधिनियम विशेष प्रकार की मानसिक नि: शक्तता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए एक राष्ट्रीय न्यास के गठन का प्रावधान करता है।
- स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहुविकलांगताग्रस्त व्यिक्तियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999: यह अधिनियम विशेष प्रकार की मानसिक नि: शक्तता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए एक राष्ट्रीय न्यास के गठन का प्रावधान करता है।
- राष्ट्रीय न्यास के न्यासी बोर्ड का यह दायित्व है कि वे वसीयत में उल्लिखित किसी भी लाभग्राही के समुचित जीवन स्तर के लिए आवश्यक प्रबंध करें और विकलांगजनों के लाभ हेतु अनुमोदित कार्यक्रम करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करें ।
- लीगल गार्जियनशिप-राष्ट्रीय न्यास उन नि: शक्त व्यक्तियों के माता पिता की मृत्यु की दशा में देखभाल और संरक्षण के लिए उपायो का संप्रवर्तन करती है साथ ही उन नि: शक्तजनों के लिए जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है संरक्षक और न्यासी नियुक्त करने की प्रक्रिया तय करती है ।
- इस रैली में आए विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय न्यास द्वारा मानसिक मंदता, आटिज्म, बहु नि: शक्तता एवं मानसिक पक्षाघात इन चार प्रकार की समस्याओं से प्रभावितों के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी व उनके लिए बाधामुक्त वातावरण तैयार करने में जन भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की ।
- इस दिशा में राष्ट्रीय न्यास की पहल पर रेल्वे स्टेशनों, स्कूलों, दफ्तरों व सार्वजनिक स्थलों पर सीढ़ियों के अलावा रैम्प बनवाने, प्रतीक्षालयों व अन्य स्थानों पर उनके बैठने के लिए विशेष प्रकार की कुर्सियों की व्यवस्था करने एवं प्रसाधन गृहों में नि: शक्तजनों के लिए विशेष प्रकार के टॉयलेट की व्यवस्था करने के स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं ।
- यह जग जाहिर है कि मानसिक नि: शक्त व्यक्तियों के अभिभावकों की सबसे प्रमुख समस्या यह है कि 'जब तक वे हैं तब तक तो ठीक है, लेकिन उनके बाद उनके आश्रित नि:शक्त का क्या होगा? उसे कौन संभालेगा?' इससे भी अधिक चिंता का विषय यह है कि नि:शक्तों के लिए बरसों से कार्यरत विभिन्न संस्थाओं से लेकर राष्ट्रीय न्यास और सरकार तक इसका कोई ठोस या कारगर निदान नहीं खोज पाए हैं।