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राव शेखा sentence in Hindi

pronunciation: [ raav shekhaa ]

Examples

  1. अपनी स्वतंत्रता के लिए राव शेखा जी को आमेर नरेश रजा चंद्रसेन जी से जो शेखा जी से अधिक शक्तिशाली थे छः लड़ाईयां लड़नी पड़ी और अंत में विजय शेखाजी की ही हुई, अन्तिम लड़ाई मै समझोता कर आमेर नरेश चंद्रसेन ने राव शेखा को स्वतंत्र शासक मान ही लिया | राव शेखा ने अमरसर नगर बसाया, शिखरगढ़, नाण का किला, अमरगढ़, जगन्नाथ जी का मन्दिर आदि का निर्माण कराया जो आज भी उस वीर पुरूष की याद दिलाते है |
  2. अपनी स्वतंत्रता के लिए राव शेखा जी को आमेर नरेश रजा चंद्रसेन जी से जो शेखा जी से अधिक शक्तिशाली थे छः लड़ाईयां लड़नी पड़ी और अंत में विजय शेखाजी की ही हुई, अन्तिम लड़ाई मै समझोता कर आमेर नरेश चंद्रसेन ने राव शेखा को स्वतंत्र शासक मान ही लिया | राव शेखा ने अमरसर नगर बसाया, शिखरगढ़, नाण का किला, अमरगढ़, जगन्नाथ जी का मन्दिर आदि का निर्माण कराया जो आज भी उस वीर पुरूष की याद दिलाते है |
  3. अपनी स्वतंत्रता के लिए राव शेखा जी को आमेर नरेश रजा चंद्रसेन जी से जो शेखा जी से अधिक शक्तिशाली थे छः लड़ाईयां लड़नी पड़ी और अंत में विजय शेखाजी की ही हुई, अन्तिम लड़ाई मै समझोता कर आमेर नरेश चंद्रसेन ने राव शेखा को स्वतंत्र शासक मान ही लिया | राव शेखा ने अमरसर नगर बसाया, शिखरगढ़, नाण का किला, अमरगढ़, जगन्नाथ जी का मन्दिर आदि का निर्माण कराया जो आज भी उस वीर पुरूष की याद दिलाते है |
  4. रावशेखा के दादा बालाजी आमेर से अलग हुए थे | अतः अधीनता स्वरूप कर के रूप में प्रतिवर्ष आमेर को बछेरे देते थे | शेखा के समय तक यह परम्परा चल रही थी | राव शेखा ने गुलामी की श्रंखला को तोड़ना चाहा | अतः उन्होंने आमेर राजा उद्धरण जी को बछेरे देने बंद कर दिए थे पर चंद्रसेन वि. सं.१५२५ मै जब आमेर के शासक हुए तब राव शेखा के पास संदेश भेजा कि वे आमेर को कर के रूप में बछेरे क्यों नही भेजते है?
  5. रावशेखा के दादा बालाजी आमेर से अलग हुए थे | अतः अधीनता स्वरूप कर के रूप में प्रतिवर्ष आमेर को बछेरे देते थे | शेखा के समय तक यह परम्परा चल रही थी | राव शेखा ने गुलामी की श्रंखला को तोड़ना चाहा | अतः उन्होंने आमेर राजा उद्धरण जी को बछेरे देने बंद कर दिए थे पर चंद्रसेन वि. सं.१५२५ मै जब आमेर के शासक हुए तब राव शेखा के पास संदेश भेजा कि वे आमेर को कर के रूप में बछेरे क्यों नही भेजते है?
  6. कु. राजुल शेखावत रावशेखा के दादा बालाजी आमेर से अलग हुए थे | अतः अधीनता स्वरूप कर के रूप में प्रतिवर्ष आमेर को बछेरे देते थे | शेखा के समय तक यह परम्परा चल रही थी | राव शेखा ने गुलामी की श्रंखला को तोड़ना चाहा | अतः उन्होंने आमेर राजा उद्धरण जी को बछेरे देने बंद कर दिए थे पर चंद्रसेन वि.सं.१५२५ मै जब आमेर के शासक हुए तब राव शेखा के पास संदेश भेजा कि वे आमेर को कर के रूप में बछेरे क्यों नही भेजते है?
  7. कु. राजुल शेखावत रावशेखा के दादा बालाजी आमेर से अलग हुए थे | अतः अधीनता स्वरूप कर के रूप में प्रतिवर्ष आमेर को बछेरे देते थे | शेखा के समय तक यह परम्परा चल रही थी | राव शेखा ने गुलामी की श्रंखला को तोड़ना चाहा | अतः उन्होंने आमेर राजा उद्धरण जी को बछेरे देने बंद कर दिए थे पर चंद्रसेन वि.सं.१५२५ मै जब आमेर के शासक हुए तब राव शेखा के पास संदेश भेजा कि वे आमेर को कर के रूप में बछेरे क्यों नही भेजते है?
  8. कु. राजुल शेखावत रावशेखा के दादा बालाजी आमेर से अलग हुए थे | अतः अधीनता स्वरूप कर के रूप में प्रतिवर्ष आमेर को बछेरे देते थे | शेखा के समय तक यह परम्परा चल रही थी | राव शेखा ने गुलामी की श्रंखला को तोड़ना चाहा | अतः उन्होंने आमेर राजा उद्धरण जी को बछेरे देने बंद कर दिए थे पर चंद्रसेन वि. सं. १ ५ २ ५ मै जब आमेर के शासक हुए तब राव शेखा के पास संदेश भेजा कि वे आमेर को कर के रूप में बछेरे क्यों नही भेजते है?
  9. कु. राजुल शेखावत रावशेखा के दादा बालाजी आमेर से अलग हुए थे | अतः अधीनता स्वरूप कर के रूप में प्रतिवर्ष आमेर को बछेरे देते थे | शेखा के समय तक यह परम्परा चल रही थी | राव शेखा ने गुलामी की श्रंखला को तोड़ना चाहा | अतः उन्होंने आमेर राजा उद्धरण जी को बछेरे देने बंद कर दिए थे पर चंद्रसेन वि. सं. १ ५ २ ५ मै जब आमेर के शासक हुए तब राव शेखा के पास संदेश भेजा कि वे आमेर को कर के रूप में बछेरे क्यों नही भेजते है?
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