रामनारायण उपाध्याय sentence in Hindi
pronunciation: [ raamenaaraayen upaadheyaay ]
Examples
- इस संकलन में पाँचवें दशक से लगातार लिख रहे-रावी, विष्णु प्रभाकर, रामनारायण उपाध्याय, डॉ. ब्राजभूषण सिंह ' आदर्श ', डॉ. श्याम सुन्दर व्यास तथा मनमोहन मदारिया की इसी दशक में लिखी गई लघुकथाएँ भी संकलित हैं।
- इस अवधि में आनंद मोहन अवस्थी, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, रामनारायण उपाध्याय, अयोध्या प्रसाद गोयलीय, रामप्रसाद विद्यार्थी ‘ रावी ' और श्यामनंदन शास्त्री, भृंग तुपकरी आदि द्वारा रचित प्राय: बोध-वृत्ति से युक्त ‘ लघुकथात्मक ' संग्रह प्रकाशित हुए।
- स्व 0 माखनलाल चतुर्वेदी की ‘ बिल्ली और बुखार ', जिसे हिंदी की प्रथम लघुकथा कहा गया है तथा स्व 0 रामनारायण उपाध्याय द्वारा लिखित और सन 1940 में ‘ वीणा ' में प्रकाशित उनकी लघुकथाएँ ‘ आटा ' और ‘ सीमेंट ' इस कथन की पुष्टि करती हैं।
- हिन्दी के श्रेष्ठ साहित्यकार रामनारायण उपाध्याय मौलिकता को कुछ इस तरह से व्यक्त करते है-क्या यह नही हो सकता कि हम जैसे हैं, ठीक वैसे ही मिले और जो हम नही हैं,वैसा दिखने का प्रयत्न बंद कर दे?जैसी सुखी रोटी तुम खाते हो,वैसी ही मुझे भी खिलाओ / जिस फटे ट...
- विष्णु प्रभाकर, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, रामनारायण उपाध्याय, जगदीश कश्यप, रमेश बत्तरा, कृष्ण कमलेश तथा अभी कुछ ही समय पूर्व अकस्मात दिवंगत हुए लघुकथा के लिए बहुत सक्रिय योगदान देने वाले कालीचरण प्रेमी जी, सभी को स्मरण कर उनकी लघुकथाएँ भी प्रकाशित की हैं।
- हिन्दी के श्रेष्ठ साहित्यकार रामनारायण उपाध्याय मौलिकता को कुछ इस तरह से व्यक्त करते है-क्या यह नही हो सकता कि हम जैसे हैं, ठीक वैसे ही मिले और जो हम नही हैं,वैसा दिखने का प्रयत्न बंद कर दे?जैसी सुखी रोटी तुम खाते हो,वैसी ही मुझे भी खिलाओ / जिस फटे ट
- हरियाणा के ख्याति-प्राप्त लेखक विष्णु प्रभाकर अपने लघुकथा-संग्रह ' कौन जीता कौन हारा'(1989) की भूमिका में लिखते हैं-“जब मैंने लिखना शुरू किया था तो सर्वश्री जयशंकर प्रसाद, सुदर्शन, माखनलाल चतुर्वेदी, उपेन्द्रनाथ अश्क, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, जगदीश चन्द्र मिश्र, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, रावी और रामनारायण उपाध्याय आदि सुप्रसिद्ध सर्जक इस क्षेत्र में भी सक्रिय थे।”
- म. प्र. के साहित्य लेखन के गाँधी दादा रामनारायण उपाध्याय सरल,सहज और सात्विक क़लम के कारीगर थे.पं.माखनलाल चतुर्वेदी के खण्डवा के रामा दादा जीवनभर गाँधीवादी सोच में जीते रहे और वैसा ही लिखते रहे.बापू के कहने पर ग्रामीण अंचल में रह कर साहित्य सेवा करने वाले रामा दादा म.प्र.के वरिष्ठ लेखकों की जमात में पहली पायदान के हस्ताक्षर थे.
- लोकमनीषी रामनारायण उपाध्याय ने ठीक ही लिखा है-‘ ‘ नरहरि पटेल के गीत, गजल और उनमें निहित मालव माटी की महक मंत्रमुग्ध कर देती है, जैसे रेगिस्तान में पानी बरस जाय, भरी दुपहरिया में नंगे पाँव ऊब ड़-खाब ड़ पगडंडी पर चलते कोई बदली आशीर्वाद बनकर सिर पर अपना वरदहस्त रख दे।
- िनमाड़ की अस्मिता के बारे में पद्मश्री रामनारायण उपाध्याय लिखते है-“जब मैं िनमाड़ की बात सोचता हूँ तो मेरी आँखों में ऊँची-नीची घाटियों के बीच बसे छोटे-छोटे गाँव से लगा जुवार और तूअर के खेतों की मस्तानी खुशबू और उन सबके बीच घुटने तक धोती पर महज कुरता और अंगरखा लटकाकर भोले-भाले किसान का चेहरा तैरने लगता है।