मिताई sentence in Hindi
pronunciation: [ mitaae ]
"मिताई" meaning in English "मिताई" meaning in Hindi
Examples
- इन सबके बीच जो दो आर्टिस्ट तेजी से अपनी पहचान बनाते जा रहे हैं उनमे ' जोय मिताई ' और सविता कुंद्रा का नाम उल्लेखनीय है.
- फिर तो धिक्कार के इस मार-चक्र से अपने को छुडाकर घर जाने के लिए महेन्द्र ललक उठा, बिहारी को निर्भर करने योग्य अडिग मिताई बड़ी बेशकीमती लगने लगी।
- जे गरीब पर हित करै, ते रहीम बड़लोग कहाँ सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग कविवर रहीम कहते हैं जो छोटी और गरीब लोगों का कल्याण करें वही बडे लोग कहलाते हैं।
- हम बहुत भुलक्कड़ है अपने महापुरुषों की बात को याद नहीं रखते, दशम गुरु गोविन्द सिंह ने कहा था-तुरुक मिताई तब करै जब सबै हिन्दू मरि जा य.
- जे गरीब पर हित करै, ते रहीम बड़लोग कहाँ सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग कविवर रहीम कहते हैं जो छोटी और गरीब लोगों का कल्याण करें वही बडे लोग कहलाते हैं।
- ' ' एक बार मिट्ठू ने पूछा, '' अच्छा दादी, आपकी ये सारी कहानियाँ गाने किसने बताए? '' '' माँ ने, दादा-दादी, ताया, चाचा, बुआ और मौसियों ने-हाँ, सिर्फ़ गाने हमारे संगीत के गुरुजी मिताई बाबू ने।
- विचित्रई और मित्रई ये केवल तुक बैठाने के लिए प्रयुक् त किए गए हैं अन् यथा इनका शुद्ध रूप होता है ' विचित्रता ' और ' मित्रता ' । परन्तु ' मित्रई ' का रूप आगे चलकर ' मिताई ' हो जाता है और यह ब्रजभाषा में काफी प्रचलित हैा
- मैं भी आज़मगढ का रहने वाला हुँ, रामगोपाल यादव जी ने आप पर जो टिप्पणी की एवं हर चट्टी चौराहे पर आप के लिये छोटे बडे यादव नेताओं के मुंह से आपके बारे में उल्टी सीघी बातें सुनकर बडे बुढों की कही गयी ये कहावत चरितार्थ मालूम पडती है कि \अहिर मिताई तब करे जब सारे मीत मर जायें\।
- देली (दरवाजा) पूजन का जो तैय्हार होता है उसमे लड़किया हर घर मै जा के डेली पूजती है, और घर वाले उन्हें चावल, गुड (आजकल मिताई) और पैसे देते है, उन्ही चावलू से लड़की के लिए उसके घर वाले एक दिन पकवान बनाते है ज्यादातर चावलू का सया, उसे ही लड़की का भिटोला कहते है.
- इस्लाम अनुयायी तो अपना काम बड़ी ही बुद्धिमानी से कर रहे है वे हमारी बहन-बेटियों को भगाकर ले जा रहे है वह इस्लाम धर्म के प्रचार का एक बड़ा हिस्सा है, वे मित्र बनाते है तो अपने काम को साधने के लिए-लेकिन यदि हिन्दू अपने महापुरुषों की बात मानता तो यह भोगना नहीं पड़ता, गुरु गोविन्द सिंह कहते है. '' जन विस्वास करौ तुरुक्का '-आगे कहा कि-तुरुक मिताई तब करै, जब सबै हिंदु मरि जाय ''.