मध्य सप्तक sentence in Hindi
pronunciation: [ medhey septek ]
"मध्य सप्तक" meaning in Hindi
Examples
- अभी समस्या यह है कि मुझे यहाँ यह बताया जा रहा है कि मैं आज तक जिसे मध्य सप्तक का ' सा ' सुनता आ रहा हू वह दरअसल सा नहीं, कोमल ' ध' है ।
- स्वर · शुद्ध स्वर · शुद्ध तीव्र स्वर · ठाट · सप्तक · नाद · मध्य सप्तक · मन्द्र सप्तक · तार सप्तक · राग · राग यमन · खमाज · क़व्वाली · ख़याल · गीत · पदम
- भौतिकी के संनाद-विश्लेषण (Harmonics) से हमें ज्ञात होता है कि 13 वीं कुंजी (अगले तार सप्तक की प्रथम कुंजी) की आवृत्ति मध्य सप्तक की प्रथम स्वर की आवृत्ति से दुगुनी होनी चाहिए।
- राग भूपाली राग परिचय-थाट-कल्याण वर्जित स्वर-म, नि जाति-औडव-औडव वादी-ग संवादी-ध गायन समय-रात्रि का प्रथम प्रहर इस राग का चलन मुख्यत: मन्द्र और मध्य सप्तक के प्रतह्म हिस्से में होती है (पूर्वांग प्रधान राग)।
- बांस की तुलना में आल्टो बांसुरी के अंश अधिक लिखे जाते हैं. [कृपया उद्धरण जोड़ें] कॉन्ट्राबास, डबल कॉन्ट्राबास एवं हाइपरबास कुछ अन्य विरले बांसुरी रूप हैं जिन्हें मध्य सप्तक से क्रमशः दो, तीन और चार सप्तक नीचे स्वरबद्ध किया गया है.
- अलंकारों की रचना में-प्रत्येक अलकार मे मध्य सप्तक के {सा} से तार सप्तक के {सां} तक आरोही वर्ण होता है जैसे-“सारेग, रेगम,गमप,मपध,पधनी,धनीसां” व तार सप्तक के {सां} से मध्य सप्तक के {सा} तक अवरोही वर्ण होता है जैसे-“सांनिध,निधप,धपम,पमग,मगरे,गरेसा” ।
- अलंकारों की रचना में-प्रत्येक अलकार मे मध्य सप्तक के {सा} से तार सप्तक के {सां} तक आरोही वर्ण होता है जैसे-“सारेग, रेगम,गमप,मपध,पधनी,धनीसां” व तार सप्तक के {सां} से मध्य सप्तक के {सा} तक अवरोही वर्ण होता है जैसे-“सांनिध,निधप,धपम,पमग,मगरे,गरेसा” ।
- अलंकारों की रचना में-प्रत्येक अलंकार मे मध्य सप्तक के (सा) से तार सप्तक के (सां) तक आरोही वर्ण होता है जैसे-“सारेग, रेगम, गमप, मपध, पधनी, धनीसां” व तार सप्तक के (सां) से मध्य सप्तक के (सा) तक अवरोही वर्ण होता है जैसे-“सांनिध, निधप, धपम, पमग, मगरे, गरेसा” ।
- अलंकारों की रचना में-प्रत्येक अलंकार मे मध्य सप्तक के (सा) से तार सप्तक के (सां) तक आरोही वर्ण होता है जैसे-“सारेग, रेगम, गमप, मपध, पधनी, धनीसां” व तार सप्तक के (सां) से मध्य सप्तक के (सा) तक अवरोही वर्ण होता है जैसे-“सांनिध, निधप, धपम, पमग, मगरे, गरेसा” ।
- अलंकारों की रचना में-प्रत्येक अलकार मे मध्य सप्तक के {सा} से तार सप्तक के {सां} तक आरोही वर्ण होता है जैसे-“ सारेग, रेगम, गमप, मपध, पधनी, धनीसां ” व तार सप्तक के {सां} से मध्य सप्तक के {सा} तक अवरोही वर्ण होता है जैसे-“ सांनिध, निधप, धपम, पमग, मगरे, गरेसा ” ।