भिखारीदास sentence in Hindi
pronunciation: [ bhikhaaridaas ]
Examples
- भिखारीदास रीतिकाल के श्रेष्ठ हिन्दी कवि और आचार्य भिखारीदास का जन्म प्रतापगढ़ के निकट टेंउगा नामक स्थान में सन् १ ७ २ १ ई ० में हुआ था।
- भिखारीदास रीतिकाल के श्रेष्ठ हिन्दी कवि और आचार्य भिखारीदास का जन्म प्रतापगढ़ के निकट टेंउगा नामक स्थान में सन् १ ७ २ १ ई ० में हुआ था।
- अपनी शास्त्रीय दृष्टि के लिए वह संस्कृत में “काव्यप्रकाश”, भानुदत्त की “रसमंजरी”, अप्पयदीक्षित के “कुवलयानंद” आदि और हिंदी में भिखारीदास तथा केशव आदि के ऋणी कहे जा सकते हैं।
- जैसे ही भिखारीदास पानी पीने के लिए आश्रम के अंदर गया वैसे ही दुर्घटनावश आश्रम की सफाई कर रहे महंत के झाड़ू से उसके शरीर का स्पर्श हो गया।
- चिंतामणि का ‘ कविकुलकल्पतरू ', देव का ‘ शब्दरसायन ', कुलपति का ‘ रसरहस्य ', भिखारीदास का ‘ काव्य-निर्णय ' आदि इसी प्रवृत्ति के ग्रंथ हैं.
- सेठ जी ने अपने पोते का नाम रखा दमड़ीलाल, गरीबदास, भिखारीदास … वैसे भी इन नामों के पीछे वैज्ञानिकता बेशक न हो किन्तु मनोवैज्ञानिकता भरपूर असरकारक रूप से विद्यमान है.
- भिखारीदास द्वारा लिखित सात कृतियाँ प्रामाणिक मानी गईं हैं-रस सारांश, काव्य निर्णय, शृंगार निर्णय, छन्दोर्णव पिंगल, अमरकोश या शब्दनाम प्रकाश, विष्णु पुराण भाषा और सतरंज शासिका हैं।
- परवर्ती लेखकों में अपनी मौलिक देन के कारण कुमारमणि शास्त्री (“रसिकरसाल”, 1719 ई.), देव (“रसविलास”, 1726 ई., “सुखसागरतरंग”, 1719 ई.), देव (“रसविलास”, 1726 ई., “सुखसागर तरंग”, 1767 ई. तथा अन्य ग्रंथ), रसलीन (“रसप्रबोध”, 1742 ई.) तथा भिखारीदास (“श्रृंगारनिर्णय”, 1750 ई.) अधिक महत्वपूर्ण हैं।
- केशवदास (ओरछा), प्रताप सिंह (चरखारी), बिहारी (जयपुर, आमेर), मतिराम (बूँदी), भूषण (पन्ना), चिंतामणि (नागपुर), देव (पिहानी), भिखारीदास (प्रतापगढ़-अवध), रघुनाथ (काशी), बेनी (किशनगढ़), गंग (दिल्ली), टीकाराम (बड़ौदा), ग्वाल (पंजाब), चन्द्रशेखर बाजपेई (पटियाला), हरनाम (कपूरथला), कुलपति मिश्र (जयपुर), नेवाज (पन्ना), सुरति मिश्र (दिल्ली), कवीन्द्र उदयनाथ (अमेठी), ऋषिनाथ (काशी), रतन कवि (श्रीनगर-गढ़वाल), बेनी बन्दीजन (अवध), बेनी प्रवीन (लखनऊ), ब्रह्मदत्त (काशी), ठाकुर बुन्देलखण्डी (जैतपुर), बोधा (पन्ना), गुमान मिश्र (पिहानी) आदि और अनेक कवि तो राजा ही थे, जैसे-महाराज जसवन्त सिंह (तिर्वा), भगवन्त राय खीची, भूपति, रसनिधि (दतिया के जमींदार), महाराज विश्वनाथ, द्विजदेव (महाराज मानसिंह)।