भारत में समाजवाद sentence in Hindi
pronunciation: [ bhaaret men semaajevaad ]
Examples
- यद्यपि लोकतांत्रिक दबावों के कारण सरकारें आज भी समाजवादी राग अलापना नहीं भूली हैं, तथापि अशिक्षा एवं नागरिकताबोध के अभाव के चलते भारत में समाजवाद का नारा पूंजीवाद के लिए पथ-प्रदर्शक सिद्ध हुआ है.
- लोहिया ने भारत में समाजवाद के धारा का प्रवाह किया वह जाति व वंशावली आधारित राजनीति को भारत से हटाना चाहते है थे लेकिन उनके दुनिया से जाने के बाद उनके ही समर्थकों ने उलटी गंगा बहानी शुरु कर दी।
- समूचे उत्तर भारत में समाजवाद का नया चेहरे बनकर उभरे अखिलेश यादव ने आज राजभवन जाकर समाजवादी पार्टी विधान मंडल दल की तरफ से सरकार बनाने का जैसे ही दावा पेश किया उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का माहौल बदल गया ।
- भारत में समाजवाद के पुरोधा डा. लोहिया का नारा था-‘ संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़े पांवे सौ में साठ इस नारे के विपरीत समाजवादी पार्टी के इलाहाबाद से सांसद कुंवंर रेवती रमण सिंह से इस विषय पर हमारे संवाददाता अभिषेक Full Article
- मोचीराम के ज़रिए जूते को आईना बनाकर हम आप जैसों को हमारी मध्यवर्गीय बेईमान चेतना का चेहरा दिखाता है और बताता है कि भारत में समाजवाद मालगोदाम पर लटकी उन बाल्टियों की तरह है जिन पर लिखा रहता है आग और भरा रहता है पानी … जैसे कोई मादा भेडि़या किसी मेमने का सिर चबा रही हो और अपने छौने को दूध पिला रही हो …! इस पटकथा को पढ़ने के लिए पट खोलने पड़ेंगे।
- ‘ व्हील आॅफ हिस्टरी ', ‘ फ्रैग्मेंट्स आॅफ ए वल्र्ड माइड ', ‘ विल टू पाॅवर ', ‘ माक्र्स, गाँधी एण्ड सोशलिज्म ', ‘ भारतीय इतिहास लेखन ', ‘ भारत में समाजवाद ' जैसे अपने विनिबन्धों और पुस्तकों में डाॅ 0 लोहिया जब प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से राजनीतिज्ञों में नैतिक-शक्ति का उत्कर्ष खोजते हैं तो लगता है जैसे कोई अभिभावक भावी-पीढ़ी के बुनियादी प्रश्नों को ‘ इतिहास-चक्र ' में दर्ज कर रहा है।
- लोहिया जी एक ऐसे समाजवाद चिन्तक और नेता थे जिनकी विद्वत्ता और अद्भुत विचार शक्ति ने भारत में समाजवाद को हिन्दुस्तानी ढंग से और भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखने की ज़मीन तैयार की, अन्यथा प्रायः समाजवाद की परिकल्पना वैदेशिक उपमानों और प्रतीकों की निर्भरता से ग्रस्त रहा करती थीI साथ ही लोहिया जी ने अपने वैयक्तिक जीवन में जिस आज़ादखयाली का परिचय बिना किसी ढोंग और कथित नैतिकता का झूठा चोला पहने बिना दिया वह अत्यन्त दुर्लभ है /
- भगतसिंह धर्म, सम्प्रदाय, जाती से परे एक क्रांतिकारी के रूप में प्रत्येक देशवासी के लिए सम्मानीय हैं| भारत में समाजवाद के नारे को रातों-रात सारे भारतवासियों तक पहुंचाने का जो काम भगतसिंह ने अपनी शहादत देकर किया, उसे यदि भगतसिंह नहीं करते तो करने में आधी सदी लग जाती| ऐसे वीर क्रांतिकारी की पहचान को पगड़ी तक सीमित करने की कोशिश न केवल उनकी शहादत का अपमान है बल्कि एक प्रखर क्रांतिकारी के लिए यह उसके वध के समान है|