भारतीय जलवायु sentence in Hindi
pronunciation: [ bhaaretiy jelvaayu ]
Examples
- अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि जिस आईपीसीसी के करीब 2, 000 वैज्ञानिकों ने इस रपट को तैयार किया है उसके अध्यक्ष भी एक भारतीय जलवायु विज्ञानी ही हैं, डॉक्टर आरके पचौरी.
- यह तो शुक्र है उन गौशालाओं का जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी भारतीय नस्ल के गोधन को न केवल संरक्षित किया बल्कि यह भी साबित कर दिखाया कि भारतीय नस्ल की गाएं भारतीय जलवायु में सर्वश्रेष्ठ हैं।
- वैसे भी भारतीय जलवायु और पशु-पक्षियों के शब्दों के लिये यूनानी, लैटिन, जर्मन, और अन्य हिन्द्-यूरोपीय भाषाओं में मिलते जुलते शब्द नहीं मिलते, जैसे मोर, मुर्गा, बाघ, हाथी, आम, केला, पीपल, बरगद, नीम, गर्म-मौसम, गैण्डा, भैंस, चावल, इत्यादि ।
- वैसे भी भारतीय जलवायु और पशु-पक्षियों के शब्दों के लिये यूनानी, लैटिन, जर्मन, और अन्य हिन्द्-यूरोपीय भाषाओं में मिलते जुलते शब्द नहीं मिलते, जैसे मोर, मुर्गा, बाघ, हाथी, आम, केला, पीपल, बरगद, नीम, गर्म-मौसम, गैण्डा, भैंस, चावल, इत्यादि ।
- भारत में अभी भी कच्चे मकानों की बहुलता है, पर कोई इंजीनियर नहीं है जो भारतीय जलवायु को ध्यान में रखते हुए और स्थानीय सामग्री का उपयोग करते हुए कोई ' उपयुक्त तकनीकी ' (appropriate technological) समाधान प्रस्तुत करे।
- अपनी ऐसी पोशाक को छोड़कर, जो भारतीय जलवायु के सबसे ज्यादा अनुकूल है, जो सादगी, कला और सत्तेपन में दुनिया में अपनी जोड़ नहीं रखती और जो स्वाथ्य तथा स्वच्छता की आवश्यकताओं को पूरा करती है, हम एक राष्ट्रीय पाप कर रहे हैं।
- उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि टी 90 टैंक भारतीय जलवायु के हिसाब से नहीं बना है और हाल ही में सेना ने आग्रह किया है कि इसे चलाने वाले को सुकून देने के लिए टैंक में एयर कंडीशनर लगाया जाए।
- वैसे भी भारतीय जलवायु और पशु-पक्षियों के शब्दों के लिये यूनानी, लैटिन, जर्मन, और अन्य हिन्द्-यूरोपीय भाषाओं में मिलते जुलते शब्द नहीं मिलते, जैसे मोर, मुर्गा, बाघ, हाथी, आम, केला, पीपल, बरगद, नीम, गर्म-मौसम, गैण्डा, भैंस, चावल, इत्यादि ।
- सभी मुगल शासक जान चुके थे कि भारतीय जलवायु के अंतर्गत गोवंश, आर्थिक समृद्धता प्रदान करने वाला सबसे सशक्त, स्वदेशी जैव-ऊर्जा स्रोत है, चाहे वह नागरिकों के स्वास्थ्य संरक्षण का प्रश्न हो, या भोजन के लिए अनिवार्य अन्न / फल / सब्जी उत्पादन वृध्दि की बात हो, अथवा नागरिकों की आर्थिक समृध्दता गतिमान रहने पर सरकार को नियमित राजस्व मिलते रहने का प्रश्न ही क्यों न हो।