बैना sentence in Hindi
pronunciation: [ bainaa ]
"बैना" meaning in Hindi
Examples
- “ क़ूलू आमन्ना बिल्लाहि व मा उन्ज़िला इलैना व मा उन्ज़िला इला इब्राहीमा व इस्माईला व इस्हाक़ा व यअक़ूबा वल अस्बाति वमा ऊतिया मूसा व ईसा वमा ऊतिया अन्नबीय्यूना मिन रब्बिहिम, ला नुफ़र्रिक़ु बैना अहादिम मिनहुम व नहनु लहू मुस्लिमूना।”
- ” क़ूलू आमन्ना बिल्लाहि व मा उन्ज़िला इलैना व मा उन्ज़िला इला इब्राहीमा व इस्माईला व इस्हाक़ा व यअक़ूबा वल अस्बाति वमा ऊतिया मूसा व ईसा वमा ऊतिया अन्नबीय्यूना मिन रब्बिहिम, ला नुफ़र्रिक़ु बैना अहादिम मिनहुम व नहनु लहू मुस्लिमूना।
- बैना अज़्ज़हरि व अलअस्रि, व बैना अलमग़रिबि व अलइशाइ बिल मदीनति मिन ग़ैरि ख़ौफ़ि व ला मतरिन, क़ाला फ़क़ीला लिइब्नि अब्बास मा अरादा बिज़ालिक? क़ाला अरादा अन ला युहरिजा उम्मतहु ” [1 7] यानी पैग़म्बरे इस्लाम (स.
- बैना अज़्ज़हरि व अलअस्रि, व बैना अलमग़रिबि व अलइशाइ बिल मदीनति मिन ग़ैरि ख़ौफ़ि व ला मतरिन, क़ाला फ़क़ीला लिइब्नि अब्बास मा अरादा बिज़ालिक? क़ाला अरादा अन ला युहरिजा उम्मतहु ” [1 7] यानी पैग़म्बरे इस्लाम (स.
- हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम एक हदीस में फ़रमाते हैं कि “ इज़ काना यौमु अलक़ियामति बअसा अल्लाहु अलआलिमा व अलआबिदा, फ़इज़ा वक़फ़ा बैना यदा अल्लाहि अज़्ज़ा व जल्ला क़ीला लिआबिदि इनतलिक़ इला अलजन्नति, व क़ीला लिलआलिमि क़िफ़ तशफ़अ लिन्नासि बिहुस्नि तादीबिका लहुम।
- 136 में वर्णन होता है कि “ क़ूलू आमन्ना बिल्लाहि व मा उन्ज़िला इलैना व मा उन्ज़िला इला इब्राहीमा व इस्माईला व इस्हाक़ा व यअक़ूबा वल अस्बाति वमा ऊतिया मूसा व ईसा वमा ऊतिया अन्नबीय्यूना मिन रब्बिहिम, ला नुफ़र्रिक़ु बैना अहादिम मिनहुम व नहनु लहू मुस्लिमूना।”
- यह वह चीज़ हैं जिसको हमने मकतबे आइम्मा-ए-अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम से सीखा है उन्होँने हम से फ़रमाया है कि “ न जबरे मुतलक़ सही है न तफ़वाज़े मुतलक़ बल्कि इन दोनों के दरमियान एक चीज़ है, ला जबरा व ला तफ़वीज़ा व लाकिन अमरा बैना अमरैन ” [21]
- जब सफ़ा पहाड़ी पर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने अरब के लोगों को दावत दी, हर तरफ़ से लोग आए और हुज़ूर ने उनसे अपनी सच्चाई और अमानत की गवाही लेने के बाद फ़रमाया-इन्नी लकुम नज़ीरूम बैना यदैय अज़ाबिन शदीदिन यानी में तुम्हें उस अज़ाब का डर दिलाता हूँ जो तुम्हारे बहुत क़रीब है.
- 5-जनाब शैख़ सिद्दीक़ हसन ख़ान क़नदूजी ने अपनी किताब “ अलइज़ाअहू लेमा काना वमा यकूना बैना यदेइस साअत ” में लिख़ा हैः इमाम मेहदी (अ.) के बारे में मुख़तालिफ़ अंदाज़ से इतनी कसरत से रिवायतें नक़्ल होई हैं जो वाक़ेअन तवातिरे मानवी की हद तक हैं जिस में कोई शक नही कि इमामे मेहदी (अ.)
- यअ-लमु मा बैना ऐ-दी-हिम वमा ख़ल-फ-हुम ” आम तौर पर शिफ़ाअत करने वाले जिसकी शिफ़ाअत करते हैं उसके बारे में कोई नई बात पेश कर देते हैं लेकिन ख़ुदा के सामने ऐसा कुछ नहीं हो सकता क्यों कि वह शिफ़ाअत करने वालों के बारे में भी जानता है और जिन की शिफ़ाअत की जा रही है उन को भी अच्छी तरह जानता है।