बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन sentence in Hindi
pronunciation: [ bihaar hinedi saahitey semmelen ]
Examples
- अब जब इस तरह के महान साहित्यकारों की नई पौध बिहार से निकल रही है तो बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन को अब आम साहित्यकारों के भरोसे नहीं चलाया जा सकता।
- सन 1933 में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ग्यारहवा सम्मेलन आयोजित था और यह सम्मेलन भागलपुर के लालूचक के कृष्ण मिश्र, और शिव दुलारे मिश्र की प्रेरणा से आयोजित की गयी थी।
- बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित लघु कथा संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि देश में दो विभूतियों-महात्मा गांधी और प्रेमचंद ने भारत के जनमानस के नब्ज को समझा था।
- प्रतिनिधि, पटना: बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में स्वतंत्रता सेनानी, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पांच बार अध्यक्ष रहे महाकवि राम दयाल पाण्डेय की 97 वीं जयंती सोमवार को धूमधाम से मनाई गई।
- प्रतिनिधि, पटना: बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में स्वतंत्रता सेनानी, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पांच बार अध्यक्ष रहे महाकवि राम दयाल पाण्डेय की 97 वीं जयंती सोमवार को धूमधाम से मनाई गई।
- बदनामी से भी नाम होता है। इसका पता कुछ फिल्मी गीतों से चलता है। नई जानकारी बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन को लेकर मिल रही है। इस संस्था में विवाद चल रहा है। यानी बदनामी हो रही है। इससे नए लोग इस संस्
- हिन्दी के विद्वान डा रामवचन राय, अध्यक्ष, बिहार राज्य सार्वजनिक पुस्तकालय एवं सूचना केन्द्र प्राधिकरण, अनिल सुलभ, अध्यक्ष, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना और रेणू देवी, पूर्व मंत्री, बिहार सरकार, ने भी “ पाँचवाँ स्तंभ ” पत्रिका की उपयोगिता पर बल दिया।
- इस अवसर पर प्रख्यात आलोचक डॉ. विजेन्द्र नारायण सिंह, मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा व्याकरणाचार्य डॉ. रामदेव प्रसाद एवं ‘ आरोह-अवरोह ' के संपादक डॉ. शंकर प्रसाद, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री राम नरेश सिंह एवं बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक सदस्य डॉ. रमेश चन्द्र पाण्डेय आदि ने अपने विचार प्रकट किये।
- इस अवसर पर प्रख्यात आलोचक डॉ. विजेन्द्र नारायण सिंह, मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा व्याकरणाचार्य डॉ. रामदेव प्रसाद एवं ‘ आरोह-अवरोह ' के संपादक डॉ. शंकर प्रसाद, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री राम नरेश सिंह एवं बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक सदस्य डॉ. रमेश चन्द्र पाण्डेय आदि ने अपने विचार प्रकट किये।