प्रोक्ति sentence in Hindi
pronunciation: [ peroketi ]
"प्रोक्ति" meaning in English "प्रोक्ति" meaning in Hindi
Examples
- फिल्म भाषाविज्ञान ' जैसा एक अध्ययन क्षेत्र प्रस्तावित किया गया है और यह प्रतिपादित किया गया है कि सिनेमा जीवन नहीं है, वह एक सृजनात्मक दर्शनीय कला है जिसकी प्रोक्ति एक पूरी प्रक्रिया से बनती है।
- पूरी कविता का रूपक शीर्षक के अतिरिक्त मात्र इसी एक शब्द पर टिका हुआ है, यह शब्द हटाते ही 'संकल्प के मंत्र' के साथ व्रतबंध की प्रोक्ति असंप्रेष्य ही नहीं हुई अपितु पूरी तरह नष्ट हो गई है।
- पात्रों की मानसिक उथल-पुथल को व्यक्त करने के लिए संवाद और स्वागत प्रोक्ति का मिश्रित प्रयोग पाया जाता है और साथ ही विवरण और एकालाप तथा संवाद और लेखकीय उपस्थिति जैसी मिश्रित प्रोक्तियाँ अनेक स्थलों पर प्राप्त होती हैं.
- पूरी कविता का रूपक शीर्षक के अतिरिक्त मात्र इसी एक शब्द पर टिका हुआ है, यह शब्द हटाते ही ' संकल्प के मंत्र ' के साथ व्रतबंध की प्रोक्ति असंप्रेष्य ही नहीं हुई अपितु पूरी तरह नष्ट हो गई है।
- फिर यह देखने का आग्रह किया है कि बंधों के व्याकरणिक मदों का सममित (सिमेट्रिकल) वितरण किस तरह हुआ है कि अलग-अलग बंध मिलकर पूरे पाठ (कविता) का समूहन करते हैं, उन्हें एक ' प्रोक्ति ' बनाते हैं.
- इस प्रारूप के अनुसार कथाभाषा विश्लेषण के आठ आयाम हैं-वैयक्तिकता, बोली, काल / समय, प्रोक्ति (वाकलेखन के स्तर पर-विवरणात्मक सूचना, अनौपचारिक वार्तालाप, भाषिक-भाषेतर मिश्रण के स्तर, एकालाप, वार्तालाप), वार्तासीमा, पद, प्रकारता तथा अतिवैयक्तिकता.
- “ रचना, ऐसे शैलीगत प्रयोग को भाषाविज्ञान / समाज भाषा विज्ञान प्रोक्ति कहता है: जिसे ” वाक्य पदीयम “ ने ” महावाक्य “ की संज्ञा दी है, ” ' बस यहीं तो मात खा गये हम-हिन्दी साहित्य के आधिकारिक श्रोता भी तो नहीं..
- कोश के अनुसार प्रोक्ति के अर्थ हैं-विचारों का संप्रेषण (Communication of ideas), वार्तालाप (Conversation), सूचना (Information), विशेषतः बातचीत द्वारा, भाषण, एक औपचारिक एवम् व्यवस्थित लेख (Article) और किसी विषय का विस्तृत और औपचारिक विवेचन।
- शीर्षक किसी का कोटेशन नहीं है | रचना! ऐसे शैलीगत प्रयोग को भाषाविज्ञान / समाज भाषाविज्ञान प्रोक्ति कहता है ; जिसे “ वाक्य पदीयम् ” ने ‘ महावाक्य ' की संज्ञा दी है | किसी सच्चे और खरे भाषा-वैज्ञानिक / शैली वैज्ञानिक से पूरी जानकारी मिल सकती है |
- कविता हो या गद्य की कोई भी विधा, उसके पाठ में व्याकरण, अर्थ, शैली, सामाजिक संदर्भ और प्रोक्ति जैसे विविध स्तरों पर जहाँ कहीं भी सौंदर्य निहित है, वे निष्ठापूर्वक उसका अनुसंधान और उद्घाटन करते हैं और कई बार तो पाठक को इन उपलब्धियों के द्वारा चमत्कृत कर देते हैं।