निजीकरण और वैश्वीकरण sentence in Hindi
pronunciation: [ nijikern aur vaishevikern ]
Examples
- उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की त्रुटिपूर्ण आर्थिक नीतियों का ही कमाल है, जो भारत पर विकसित पूँजीवादी राष्ट्रों का शिकंजा कसता जा रहा है और यहाँ की अर्थ-व्यवस्था तेजी़ से ऋण-जाल में फँसती जा रही है।
- मौजूदा संदर्भ में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के दौर में सिविल सेवकों के सम्मुख नौतियां बढ़ती जा रही है परंतु उसमें व्यावहारिक घटनाक्रम और चुनौतियों से निपटने की क्षमता तथा दृढ़इच्छा शक्ति की कमी पाई जा रही थी।
- बीस साल पहले जब उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर हम पर थोपा गया तब हमें बताया गया था कि सार्वजनिक उद्योग और सार्वजनिक संपत्ति में इतना भ्रष्टाचार और इतनी अकर्मण्यता फैल गई है कि अब उनका निजीकरण ज़रूरी है।
- बीस साल पहले जब उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर हम पर थोपा गया तब हमें बताया गया था कि सार्वजनिक उद्योग और सार्वजनिक संपत्ति में इतना भ्रष्टाचार और इतनी अकर्मण्यता फैल गई है कि अब उनका निजीकरण ज़रूरी है.
- उन्नीस सौ इक्यानबे में भारत सरकार ने भी नई आर्थिक नीतियों के नाम पर उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (एलपीजी) की नीतियां अपनाई तो इसके असर से भारतीय जीवन का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं बचा है.
- बीस साल पहले जब उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर हम पर थोपा गया तब हमें बताया गया था कि सार्वजनिक उद्योग और सार्वजनिक संपत्ति में इतना भ्रष्टाचार और इतनी अकर्मण्यता फैल गई है कि अब उनका निजीकरण ज़रूरी है।
- उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के दौर में आज हर आदमी स्कैनर के अंदर है। आप अपने लैपटॉप पर गूगल में अपना घर देख सकते हैं। इसने हमारी जिंदगी को और ज्यादा उलझा दिया है और हम इस बड़े बाजार में खो-से गए हैं।
- इसके अलावा उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के युग में यह अनुभव किया गया था कि मौजूदा एमआरटीपी अधिनियम, 1969 कुछ विशिष्ट संदर्भों में पुराना पड़ गया था और प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहन देने के लिए एकाधिकार पर कटौती करने से फोकस हटाने की आवश्यकता है।
- प्रशासन, सेना और पुलिस में मुसलमानों की संख्या शर्मनाक रूप से कम है, न्यायालयों में मुसलमानों की उपस्थिति बहुत कम है और बाकी कसर उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की आर्थिक नीति ने पूरी कर दी है, जिसकी मार मुसलमानों पर सबसे ज़्यादा पड़ रही है.
- इसलिये ज़रूरी हो जाता है कि देश के भीतर जो भी सरकार बने वह अमरीका और इसके नेतृत्व में लागू की जा रही साम्राज्यवादी नवउदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों के रास्ते का रोड़ा न बने बल्कि उसकी लूट-खसूट के लिये मार्ग प्रशस्त करे।