नामोच्चारण sentence in Hindi
pronunciation: [ naamochechaaren ]
"नामोच्चारण" meaning in English
Examples
- सुबह और शाम, संध्या-समय लोग तेल के दिए जलाते और भगवान का नामोच्चारण करते, तत्पश्चात दिन भर में किये कर्मों को याद करते व गलतियों के लिए पश्चाताप करते थे, जिससे उन्हें शांति प्राप्त होती थी।
- जब एक बार के नामोच्चारण से सभी पाप नष्ट हो गये तो बार बार नाम जपने की क्या आवश्यकता? उत्तर-अनन्त पापो का विधवंस तो हो गया किन्तु उनके संस्कार अवशिष्ट है जो पुनः पुनः उन-2 पापो मे प्रवृत्त कराते है।
- षेत्र में युद्ध के लिए तैयार शत्रु-पक्ष के घोड़े हिनहिना रहे हों, हाथी चिंघाड़ रहे हों, सैनिक दारुण कोलाहल कर रहे हों, ऐसे बलवान् शत्रु राजा की सेना भी आपका नामोच्चारण होते ही यों भाग खड़ी होती है, जैसे सूर्योदय होने पर अंधकार भागता है।
- आज मैंने खाते, सोते, खड़े, चलते अथवा जागते हुए मन, वाणी और शरीर से जो भी नीच योनि एवं नरक की प्राप्ति कराने वाले सूक्ष्म अथवा स्थूल पाप किये हों, भगवान वासुदेव के नामोच्चारण से वे सब विनष्ट हो जायें।
- जो भारतवासी व्यक्ति भगवान् श्रीहरि के नामका स्वयं कीर्तन करता है अथवा दूसरे को कीर्तन करने के लिये उत्साहित करता है, वह नाम-संख्या के बराबर युगों तक वैकुण्ठ में विराजमान होता हैं यदि नारायण क्षेत्र में नामोच्चारण किया जाय तो करोड़ों गुना अधिक फल मिलता है।
- श्री राम राहु के समान चंद्रमा को निस्तेज करने वाले, अर्थात समस्त लौकिक विभूतियों को निस्तेज करके उच्चतम पुरुषोत्तम रूप धारण करने वाले हैं, श्री राम जी के नामोच्चारण से हृदय में शांति, वैराग्य और दिव्य विभूतियों का आग मन हो आता है.
- भगवान के नाम से हमारे अंतःकरण में, हमारे शरीर की नस-नाड़ियों में, रक्त में, हमारे विचारों में, बुद्धि में भगवान के नामोच्चारण से जो प्रभाव पड़ता है, उसका यदि ज्ञान हो जाये तो हम लोग फिर भगवन्नाम सुमिरन किये बिना रहेंगे ही नहीं।
- हे प्रभो! जिस रणक्षेत्र में युद्ध के लिए तैयार शत्रु-पक्ष के घोड़े हिनहिना रहे हों, हाथी चिंघाड़ रहे हों, सैनिक दारुण कोलाहल कर रहे हों, ऐसे बलवान् शत्रु राजा की सेना भी आपका नामोच्चारण होते ही यों भाग खड़ी होती है, जैसे सूर्योदय होने पर अंधकार भागता है।
- संगम के सम्बन्ध में ॠग्वेद में कहा गया है कि जहाँ कृष्ण और श्वेत जल वाली जल धाराओं का संगम होता है वहाँ स्नान करने से मनुष्य मोक्ष को पाता है व स्वर्ग का स्थान मिलता है तथा जो प्रयाग का दर्शन व उसका नामोच्चारण करता है तथा संगम स्थल जल में स्नान करता है व उस स्थल की पवित्र मिट्टी से अपने माथे पर तिलक करता है वह पापमुक्त हो जाता है यहां देह त्याग करने वाला पुन: संसार में उत्पन्न नहीं होता मोक्ष को पाता है.