द्वारका प्रसाद मिश्र sentence in Hindi
pronunciation: [ devaarekaa persaad misher ]
Examples
- यदि नेता आप जैसो की सुन ले तो ढपली लेकर सड़क पर आ जायेगा और बुद्धिजीवी मंत्रालयों में, नौकरशाह रचना कर्मी और............फिर शुरू होता अलग तरह का प्रलाप, पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र आपके अविभाजित प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, 1963 से 1967 एवं 1967 से 1967 तक.
- पांचाली के गुस्से से महाभारत हो गया, झाँसी के रानी के गुस्से ने उसे लड़ाई के मैदान में ही उतार दिया ऐसे कई सारी मिसाले हमें इतिहास में मिल जाएगी! राजमाता सिंधिया के गुस्से ने राजनीती के चाणक्य द्वारका प्रसाद मिश्र को मुख्य मंत्री के कुर्सी से भी हटा देने की घटना को हम नहीं भूले है!
- इस पत्र में जहाँ एक ओर हम दोनों के मैत्रीपूर्ण पारिवारिक सम्बंधों की सहज अभिव्यक्ति है, वहीं इस पत्र में जबलपुर में 5 जुलाई, 1984 से टेलिविज़न के कार्यक्रमों के प्रसारण के आरम्भ होने की सूचना है तथा भारतीय राजनीति के चाणक्य तथा हम दोनों के समादरणीय दादा (पं. द्वारका प्रसाद मिश्र) का संदर्भ है-
- भारतीय नेपोलियन कहे जाने वाले कलचुरी के कर्णदेव, गौंड वंशीय रानी दुर्गावती, रानी अवंतिबाई, कृष्णायन महाकाव्य के रचयिता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र, ओशो, महर्षि महेश योगी, हरिशंकर परसाई आदि को कौन नहीं जानता. शहर को अपने पावन-निर्मल-नीर से अभिसिक्त करती पुण्य सलिला माँ नर्मदा लोगों के अंतःकरण और भौतिक शरीर को परिमार्जित करती आ रही है.
- एक और रोचक ऐतिहासिक सत्य ' वंदेमातरम ' के संबंध में सामने आया जब कांग्रेस के अपराजेय चाणक्य कहलाने वाले पं. द्वारका प्रसाद मिश्र वंदेमातरम का विरोध करने वाले रऊफ अहमद और एस. डब्ल्यू. ए. रिजवी जैसे पुरानी सेन्ट्रल प्राविन्सेज़ और बरार की 1937 की पहली कांग्रेस सरकार के सदस्यों पर इस तरह वन्देमातरम की रक्षा व समर्थन पर टूट पड़े थे जो हर कांग्रेसी को जानना जरूरी है।
- संस्थान ने देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, पत्रकारों और समसामयिक विषयों पर एकाग्र प्रतिष्ठा-आयोजन भी किए जिनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आतंकवाद के बढ़ते खतरे, उर्दू सहाफत की विरासत और मौजूदा हालात, बालकृष्ण शर्मा नवीन जन्मशताब्दी, सूचना का अधिकार, स्वतंत्रता संग्राम में पत्रकारिता की भूमिका, मध्यप्रदेश में पत्रकारिता के 150 साल, लोकचेतना में आंचलिक पत्रकारों की भूमिका, पं. द्वारका प्रसाद मिश्र जन्मशताब्दी समारोह, विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
- ‘जून 1976 में, भारत की राजधानी से 600 मील दूर पंचमढ़ी की ठंडी पहाड़ियों में राजनीतिक अज्ञातवास में बैठे पण्डित द्वारका प्रसाद मिश्र, जो कि 1967-69 में पार्टी में अपने विरोधियों को परास्त करने में इंदिरा गांधी के मुख्य रणनीतिकार और विश्वस्त सलाहकार थे, ने उनसे मिलने आए एक प्रशासनिक मित्र को यह किस्सा सुनाया-”तीस के दशक में मैं एक ऐसे राजनीतिक बंदी को जानता था जिसे अपनी पालतू बिल्ली के प्रति इतना लगाव था कि उसको उसे अपनी कोठरी में साथ रखने की अनुमति मिल गई थी।