दुःख देना sentence in Hindi
pronunciation: [ duahekh daa ]
"दुःख देना" meaning in English
Examples
- इन छोटे-छोटे जीवों को मारना, वह द्रव्यहिंसा कहलाता है और किसी को मानसिक दुःख देना, किसी पर क्रोध करना, गुस्सा होना, वह सब भावहिंसा कहलाता है।
- परनिंदा या दूसरे को मानसिक दुःख देना पाप है और ऐसा करने वाले की न तो इस दुनियां में मुक्ति हो पाती है और परलोक में ही उसे शांति मिलती है।
- दूसरे को दुःख देना या किसी का सुख छीनने का प्रयास करना, यह तो अपने ही हाथों से अपने लिए दुःख उत्पन्न करना है, क्योंकि हर क्रिया की प्रतिक्रिया अवश्य होती है।
- आप अपनी टिप्पणियां डिलीट करके एक प्रकार से बदला लेना चाहते थे, मुझे दुःख देना चाहते थे, अपना मन हल्का करना चाहते थे और अपने घायल मन को शांत करना चाहते थे ।
- पर-हित पुण्य है यही कहा है तुलसी ने दूसरों को दुःख देना पाप है बताया है श्रुतियों का सार इसी सूत्र में समा गया है सुख का है श्रोत यही उसने समझाया है ।
- शब्दार्थ--(सत्यौजाः) सत्य के बल वाला, सत्य ही जिसका बल है, (वैश्वा-~ नरः) सभी मनुष्यों का हितकारी, (वृषा) बलवान्, सुखों का वर्षक, (अग्निः) अग्नि तेजोमय परमात्मा, (तान) उनकों, (प्रदहतु) जला दे, नष्ट करदे, (यः) जो, (नः) हमें (दुरस्यात्) दुःख देना चाहता है, (दिप्सात् च) औरजो हानि पहुंचाना चाहता है, (अथो) और, (यः) जो, (नः) हमारे साथ, (अरातियात्) शुवत् व्यवहार करे.
- घर से बाहर निकलते ही जिसे चिंता लग जाए, जब तक घर नहीं आजाये तब तक चिंता करती रहे, जिसे अपने शरीर की चिंता नहीं रहे लेकिन अपनी संतान की चिंता में अपने समय को गुजार दे, खुद सर्दी गर्मी बरसात की चिंता को त्याग कर संतान की चिंता में अपने को दुःख देना जानती हो.
- जब हम थूक नहीं पाते अपने विषों को उन पर जिन्होंने हमें यह दिया था तो हम उसे थूकते हैं उन पर जो हमें अमृत देते हैं इसलिए नहीं कि हम उन्हें दुःख देना चाहते हैं बल्कि इसलिए कि वही लोग-सिर्फ वही लोग हमारे उगले हुए विष को अंजुरियों से पी लेंगे और फिर भी लौटायेंगे हमें अपना अमृत
- बहुत कम लोग इस तरह के मिलेंगे जो दूसरो की ख़ुशी में खुश होते हैं, अधिकतर लोग तो सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए बेचैन लगेंगे, सिर्फ अपने सुख के लिए, चाहे इसके लिए दूसरों को दुःख देना पड़े ॥ इमरोज़ का हर कर्म अपने में अनोखा है चाहे वह अमृता से प्यार करना हो चाहे पेंटिंग करना. चाहे भोजन बनाना..
- आजकल के माहौल में नवरात्र व्रत की ऐसी विधि चुनना आवश्यक है, जिससे आप दैनिक कार्य सुचारू रूप से कर सकें | व्रत आप पर बोझ न बने | व्रत के नाम पर स्वयं को पीड़ा या दुःख देना ठीक नहीं है | सही मायने में नवरात्र व्रत आपको देवी माँ के समीप लाने और उनकी कृपा, आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है, कष्ट भोगने के लिए नहीं |