जगद्धात्री sentence in Hindi
pronunciation: [ jegadedhaateri ]
Examples
- मार्कण्डेय पुराण में उल्लिखित ' शीतले तु जगन्माता, शीतले तु जगत्पिता, शीतले तु जगद्धात्री-शीतलाय नमो नम: ' से शीतला देवी की ऐतिहासिकता का पता चलता है।
- चंदननगर का जगद्धात्री पूजा भी ऐसे ही त्यौहारों में से एक है जो सिर्फ चंदननगर का ही सम्मान नहीं बढ़ाती बल्कि भारत देश की संस्कृति को भी और सुदृढ़ करती है।
- उसी जगद्धात्री ने ब्रेड, आमलेट, केला, सेव और मिठाई की दो प्लेटें सजाकर चुमकी और शमीक के सामने वाले सेंटर टेबल पर ला रखीं तो पीतांबर के होंठों पर मुस्कान दौड़ गई।
- मगर कलकता शहर से कोई तीस किलोमीटर दूर उत्तर में? हुगली ज़िले में बसे चंदरनगर या चंदन नगर नामक छोटे से शहर में तैयारी हो रही होती है एक और उत्सव की? जगद्धात्री पूजा।
- बंगाल के नदिया में पुलिस वाले मकानों की छत पर चढ़कर नागरिकों पर गोलियाँ दाग रहे थे और “ शासन ” गोलीबारी से इन्कार कर रहा था! नागरिकों को किसी स्थान विशेष पर जगद्धात्री पूजा करने की अनुमति प्रशासन नहीं दे रहा था।
- अभिव्यक्ति के ३ अक्तूबर २०११ के अंक में पढ़ें रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी-विद्रोही, डॉ. अशोक गौतम का व्यंग्य-हाय रे मेरे भाग, मनोहर पुरी का आलेख-दसों पापों को हरने वाला दशहरा, शैलेन्द्र पांडेय के साथ पर्यटन-धनुषकोटि जहाँ राम ने सेतु बाँधा था, और मानोशी चैटर्जी के साथ-चंदनपुर की जगद्धात्री पूजा।
- अभिव्यक्ति अनुभूति अभि-अनु ३ अक्तूबर २०११ अभिव्यक्ति के ३ अक्तूबर २०११ के अंक में पढ़ें रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी-विद्रोही, डॉ. अशोक गौतम का व्यंग्य-हाय रे मेरे भाग, मनोहर पुरी का आलेख-दसों पापों को हरने वाला दशहरा, शैलेन्द्र पांडेय के साथ पर्यटन-धनुषकोटि जहाँ राम ने सेतु बाँधा था, और मानोशी चैटर्जी के साथ-चंदनपुर की जगद्धात्री पूजा।
- अभिव्यक्ति के ३ अक्तूबर २ ० ११ के अंक में पढ़ें रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी-विद्रोही, डॉ. अशोक गौतम का व्यंग्य-हाय रे मेरे भाग, मनोहर पुरी का आलेख-दसों पापों को हरने वाला दशहरा, शैलेन्द्र पांडेय के साथ पर्यटन-धनुषकोटि जहाँ राम ने सेतु बाँधा था, और मानोशी चैटर्जी के साथ-चंदनपुर की जगद्धात्री पूजा।
- लीजिए आप तो जिद करते हैं कि मुझे वह सब नहीं चाहिये, जैसा मूर्ख-से-मूर्ख और गंवार-से-गंवार आदमी भी विजयदशमी त्योहार मनाता है, वैसा ही लिखो! उस मूर्ख और गंवार का अस्तित्व ही कहां है? बंगाल में गांव-गांव आप जो जगद्धात्री का जुलूस देखा करते थे, अब वहां नये-नये स्वाँग रचे जाने लगे हैं, “ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कमलिनी।