चित्रगुप्तजी sentence in Hindi
pronunciation: [ chitergaupetji ]
Examples
- यमराजजी ने उस घबराते हुए मन वाले राजा को अपने दूतों से पिटते हुए देखा तो चित्रगुप्तजी से पूछा कि इस राजा ने क्या कर्म किया?
- यह सुनकर राजा ने वहीं उसी दिन कार्तिक के महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को धूप तथा दीपादि सामग्री से चित्रगुप्तजी के साथ धर्मराजजी का पूजन किया।
- कार्यस्थ का शब्दशः अर्थ है ' जिस पर सारा कार्य स्थिर (निर्भर) हो।' श्री चित्रगुप्तजी गुप्त रहकर सृष्टि के क्रियाकर्म (पाप-पुण्य) का लेखा-जोखा रखते हैं व धर्मराज को न्याय करने में सहयोग देते हैं।
- श्री चित्रगुप्तजी महाराज के बारह पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंश मानी जाती है और नागपंचमी के दिन नाग पूजा की जाती है।
- श्री चित्रगुप्तजी महाराज के बारह पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंश मानी जाती है और नागपंचमी के दिन नाग पूजा की जाती है।
- वहाँ उन दोनों की प्रतिष्ठा कर सोलह प्रकार की व पाँच प्रकार की सामग्री से श्रद्धा भक्तियुक्त नाना प्रकार के पकवानों, लड्डुओं, फल, फूल, पान तथा दक्षिणादि सामग्रियों से धर्मराजजी और चित्रगुप्तजी का पूजन करना चाहिए।
- लक्ष्मी मैैय्या बोली-क्या अपने चित्रगुप्तजी भी कुछ लेते होंगे? नहीं माते-चूंकि यहां आपकी क्पा से प्रभु ने किसी को बेटी की शादी में दहेज और बेटे के एडमीशन में कैपिटेशन फीस देने पर प्रतिबंध लगा रखा है इसलिए लेनदेन का चलन यहां नहीं शुरू हुआ है।
- उस समय धर्मराजजी का वचन सुन चित्रगुप्तजी बोले-इसने बहुत ही दुष्कर्म किए हैं, परन्तु दैवयोग से एक व्रत किया जो कार्तिक के शुक्ल पक्ष में यमद्वितीया होती है, उस दिन आपका और मेरा गन्ध, चंदन, फूल आदि सामग्री से एक बार भोजन के नियम से और रात्रि में जागने से पूजन किया।
- धीरे धीरे जब यह कन्या बड़ी होनें लगी तो श्राद्धदेव को उसकी शादी की चिन्ता सतानें लगी, तब श्राद्धदेव अपनी चिन्ता लेकर ब्रम्हाजी के समीप पहुंचे, और नन्दनी के लिए उचित वर की चाहत प्रकट की, तब ब्रम्हाजी नें नन्दनी के विवाह हेतु चित्रगुप्तजी को चुना और नन्दनी का विवाह चित्रगुप्तजी से करवा दिया ।
- धीरे धीरे जब यह कन्या बड़ी होनें लगी तो श्राद्धदेव को उसकी शादी की चिन्ता सतानें लगी, तब श्राद्धदेव अपनी चिन्ता लेकर ब्रम्हाजी के समीप पहुंचे, और नन्दनी के लिए उचित वर की चाहत प्रकट की, तब ब्रम्हाजी नें नन्दनी के विवाह हेतु चित्रगुप्तजी को चुना और नन्दनी का विवाह चित्रगुप्तजी से करवा दिया ।