चाँद का टुकड़ा sentence in Hindi
pronunciation: [ chaaned kaa tukeda ]
Examples
- मेले में खोई गुजरिया जिसे मिले मुझसे मिलाये उसका मुखड़ा, चाँद का टुकड़ा कोई नज़र न लगाये, जिसे मिले मुझसे मिलाये खोये से नैना तुतार बे ना कोई ना उसको चिडाये, जिसे मिले मुझसे मिलाये..
- पहली बार पत्नी को देख कर तारीफ़ में कहा चाँद का टुकड़ा और वह रोने लगी और बताया कि उसने गाँव में लाइब्रेरी में पढ़ा हैं कि चाँद पर बहुत गड्ढे हैं यानि वह बदसूरत हैं।
- पहली बार पत्नी को देख कर तारीफ़ में कहा चाँद का टुकड़ा और वह रोने लगी और बताया कि उसने गाँव में लाइब्रेरी में पढ़ा हैं कि चाँद पर बहुत गड्ढे हैं यानि वह बदसूरत हैं।
- डबडबाती आँखों में तैरता चुप सा तन्हा चाँद का टुकड़ा सितारों की जगमगाहट ओढ़ रात और दिन के बीच का सफ़र निरंतर तय कर रहा है एकांत में जीना कैसा होता है कोई इस चाँद से पूछे....
- कहा जाएगा, तुमने क्लार्क की अति रूपवती मेम को अपने रनिवास में छिपा लिया और झूठमूठ उड़ा दिया कि वह गुम हो गई? हरि-हरि! शिव-शिव! सुनता हूँ, बड़ी रूपवती स्त्राी है, चाँद का टुकड़ा है, अप्सरा है।
- चाँद का टुकड़ा, चाँद का कटोरा, ईद का चाँद, चाँद में बैठी चरखा कातती बुढ़िया, चौदहवीं का चाँद, चाँद का दाग, चाँद सा चेहरा आदि अनेक उपमाएँ, लोकोक्तियाँ, मुहावरे आदि प्रारंभ से ही चलन में रहे है।
- खुदमुहम्मद ने आज़माइश के तौर पर दो चमत्कारी झूट गढ़े, शक्कुल क़मर यानि चाँद के दो टुकड़े उंगली के इशारे से कर दिए जिसके नतीजे में चाँद का टुकड़ा एक इस छोर गिरा और दूसरा उस छोर पर गिरा, और मेराज यानि सैर ए आसमानी.
- सब से मिलवाने के बाद शेखर की माँ अपनी बहू को लेकर अपनी बड़ी बहन के घर गयीं, जहाँ नीलिमा का पहले से ही इंतज़ार हो रहा था, नीलिमा की सूरत देखते ही उन्होंने कहा के कहाँ से ले आई हो ये चाँद का टुकड़ा? उसकी नज़र उतारी और फिर वक़्त कैसे गुज़रा इसका पता किसी को न चला, नीलिमा बेहद खुश थी...
- लगती बोझ किसी मुझको हर अहसास में भाती है बेटियाँ चाँद का टुकड़ा सी सूनी सी जिन्दगी की बहार है बेटियाँ अल्हड सी चपला सी चंचल मुस्काती खिलखिलाती याद आती है बेटियाँ आँख की नमी को हमसे भी छिपाती है बेटियाँ बराबर की हिस्सेदार होकर सर सदा अपना झुकाती है बेटियां क्या क्या गिनाऊँ गिनती कर्तव्यबोध भी सिखाती है बेटियां दोजख सी दुनिया को स्वर्ग सा बनाती हैं बेटियां. किसी ने कहा..
- आजन्म कुंवारों के प्रति--चाहते थे जिंदगी की रह में, हमसफ़र एक चाँद का टुकड़ा मिले महक जाए जिंदगी का ये चमन, फूल कुछ एसा गमकता सा खिले चाहते थे रूपसी यूं मदभरी, जिधर से निकले नशीला हो समां थाम ले दिल देखने वाले सभी, इस तरह की हो अनूठी दिलरुबां पर समय का समीरण सब ले उड़ा, स्वप्न यौवन के सुनहरे, खो गये रूपसी इसी नहीं कोई मिली, प्रतीक्षा में केश रूपा हो गये