गृह स्वामिनी sentence in Hindi
pronunciation: [ garih sevaamini ]
"गृह स्वामिनी" meaning in English
Examples
- जिसकी सफाई देते हुए खुशदीप को आप कई जगह देख सकते हैं अब गृह स्वामिनी से तो सभी को डरना पड़ता है. फिर सर्जना ने हमारा दिल ले लिया जबरदस्त्त पापड़ी चाट और टिक्कियाँ खिलाकर.
- अज के लिए इन्दुमती महज प्रेयसी नहीं बल्कि घर संभालने वाली गृह स्वामिनी, सम्मति देने वाली मित्रा, एकान्त की सखी तथा गान विद्या आदि ललित कलाओं की प्रिय शिष्या थीं-गृहिणी सचिवः सखी मिथः प्रियशिष्या ललिते कलाविद्यौ।
- ममेदनु क्रतुपति: सेहनाया उपाचरेत ॥ “”-ऋग्वेद-१ ० / १ ५ ९ / २ अर्थात-मैं ध्वजारूप (गृह स्वामिनी), तीब्र बुद्धि वाली एवं प्रत्येक विषय पर परामर्श देने में समर्थ हूँ ।
- वास्तु शास्त्र अनुसार परिवार में किस स्त्री-पुरुष, सास-बहू को किस भाग में सोना बैठना चाहिए जिससे उनमें मधुर संबंध हों? परिवार का मुखिया दक्षिण दिशा में शयन करता है तो उसकी पत्नी गृह स्वामिनी भी दक्षिण दिशा में शयन करेगी।
- खैर हरिया की सठियायी हुई बुद्धि में समाधान के अलावा तनाव की स्थिति अधिक बनने लगी तो हरिया हडबडा कर उठा और रसोई घर की और देखने लगा कि गृह स्वामिनी कुछ खाने को दे तो, बुद्धि और पेट का आपस में तारतम्य बैठे ।
- जब इन सवालों से हरिया की बुध्दि में समाधान की अपेक्षा तनाव की स्थिति अधिक बनने लगी तो वह हड़बड़ा कर उठा और रसोई घर की और देखने लगा ताकि गृह स्वामिनी कुछ खाने को दे तो बुध्दि और पेट का आपस में तारतम्य बैठे।
- हमारे देश में गृह स्वामिनी वेतन भोगी कर्मचारी नहीं हो सकती, क्योंकि छोटे से छोटे काम में उसकी भावनाएं जुडी होती हैं, अतः उसको वेतन देना उसका अपमान है, हाँ उसको सम्मान मिलना चाहिए और उसकी क्षमता केअनुसार निर्णय लेने का अधिकार.
- गृहस्थी की गाड़ी के गुरुत्तर दायित्व का निर्वाह करने वाली नारी का गृह स्वामिनी के रूप में उसके श्रम का महत्त्व किसी भी दृष्टि से कम नहीं आँका जा सकता, परन्तु विडम्बना यही रही है कि उसके कार्यों का उचित रूप से सम्मान नहीं किया जाता।
- कल तक जिस महल का वैभव मेरे कारण था, वही कल मुझे भूल कर किसी और के व्यक्तित्व से महकेगा और जब वो गृह स्वामिनी, वो कल की ऐश्वर्य लक्ष्मी बीमार और कमज़ोर हो जाए तब इंसान का मन नकारात्मक रूप से शक्तिशाली हो जाता है.
- अर्थात मैं ध्वज स्वरुप (परिवार की गृह स्वामिनी) तीब्र बुद्धिवाली व प्रत्येक विवेचना में समर्थ हूँ | मेरे पतिदेव सदैव मेरे कार्यों का अनुमोदन करते हैं | तथा “ अहं बदामि नेत त्वं, सभामा न ह त्वं वद: | मेयेदस्तम्ब केवलो नान्या सि कीर्तियाश्चन || ” अर्थात..