क्षितिमोहन सेन sentence in Hindi
pronunciation: [ kesitimohen sen ]
Examples
- मिश्रबंधु, डॉ. श्यामसुंदरदास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, डॉ. दीनदयालु गुप्त, आचार्य क्षितिमोहन सेन आदि ने इस संबंध में जो तिथियाँ निर्धारित की हैं उनमें पर्याप्त अंतर है।
- प्रसिद्ध हिंदी कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन ' शांतिनिकेतन में अपना अध्ययन समाप्त कर जब वापस लौटने लगे तो उन्होंने संस्था के मुख्य आचार्य क्षितिमोहन सेन से आशीर्वाद मांगने के लिए उनके पांव छुए ।
- वे विद्वान हैं-डॉ. ग्रियर्सन, अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘ हरिऔध ', श्री क्षितिमोहन सेन, डॉ. श्याममुंदर दास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, श्री हजारीप्रसाद द्विवेदी, इत्यादि ।
- कबीर की सामाजिक प्रतिष्ठा में कहाँ तक रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा किये गये कल्पनाशील अनुवादों का अथवा क्षितिमोहन सेन जैसे आचार्यों द्वारा किये गये अध्ययन का योगदान था, इस पर बहस हो सकती है।
- शांति निकेतन में उन्हें रवीन्द्रनाथ ठाकुर और प्रसिद्ध भाषाविद् आचार्य क्षितिमोहन सेन, नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अमत्र्य सेन के नाना थे, के सानिध्य में साहित्य के गहन अध्ययन की रुचि विकसित हुई।
- द्विवेदीजी के शांति निकेतन पहुँचने से काफी पहले रवींद्रनाथ ठाकुर की प्रेरणा से आचार्य क्षितिमोहन सेन वाचिक परंपरा में प्राप् त कबीर के वचनों का संग्रह करके 1910 में चार भागों में उनका सटीक प्रकाशन करवा चुके थे।
- श्री क्षितिमोहन सेन ने नवंबर सन् 1938 में ‘ वीणा ' में ‘ जैनधर्मी आनन्दघन शीर्षक के एक लेख में वृंदावन के आनन्दघन और जैनधर्मी घन आनन्द-दोनों के ही व्यक्ति के नाम होने की संभावना प्रकट की है।
- इसके बाद के समय में कबीर जिस तरह ज़रूरी हो उठते हैं, उसमें युगीन परिस्थितियों की भूमिका कितनी है और क्षितिमोहन सेन और रवीन्द्रनाथ टैगोर की अदम्य कल्पनाशील रचनात्मकता की कितनी, यह गहरी जाँच और बहस का मुद्दा है.
- इसके बाद के समय में कबीर जिस तरह ज़रूरी हो उठते हैं, उसमें युगीन परिस्थितियों की भूमिका कितनी है और क्षितिमोहन सेन और रवीन्द्रनाथ टैगोर की अदम्य कल्पनाशील रचनात्मकता की कितनी, यह गहरी जाँच और बहस का मुद्दा है.
- बनारसीदास चतुर्वेदी को लिखे पत्रा में अपना उद्गार इस शब्दों में व्यक्त किया है-÷÷ शांतिनिकेतन में जहां आपको और मुझे द्विजत्व प्राप्त हुआ है और जहां गुरुदेव और दीनबंधु के चरण रज पड़े हैं, जहां शास्त्राी मोशाय और बड़दादा की पगधूलि मिल जाया करती है, जहां आचार्य क्षितिमोहन सेन और आचार्य नंदलाल की पवित्रा हंसी आज भी गूंज रही है।” (पत्रा ८५)