क्रीतदास sentence in Hindi
pronunciation: [ keritedaas ]
"क्रीतदास" meaning in English
Examples
- संग्राम से पलायन करते हैं अचानक नपुंसक हो गए नवयुवक धूर्तों दस्युओं वेश्यालयों के स्वामियों का क्रीतदास बनने के लिए जिनके समक्ष स्त्रियाँ स्वेच्छा से निश्शुल्क निर्वसन होती हैं
- संग्राम से पलायन करते हैं सहसा नपुंसक हो गए नवयुवक धूर्तों लम्पटों दस्युओं वेश्यालयों के स्वामियों का क्रीतदास बनने के लिए जिनके समक्ष महत्वाकांक्षी ललनाएँ स्वेच्छा से निश्शुल्क निर्वसन होती हैं
- हिन्दी उर्दू सहित कई एशियाई भाषाओं में दास या सही मायनों में क्रीतदास (खरीदा गया सेवक) के अर्थ में गु लाम शब्द प्रचलित है और इसका इस्तेमाल आम है।
- मजदूरों की कहानी कैसे बन सकी थी और यह भी कि काल और स्थान की सीमाओं को तोड़कर कैसे आम भारतीय के लिए रोमन क्रीतदास ‘स्पार्टकस ' की कथा उनके लिए इतना प्रासंगिक हो गया था।
- वे कहते हैं: ‘ मर गया देश, अरे जीवित रह गये तुम ', ‘ सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक …, ‘ बौद्धिक वर्ग है क्रीतदास / किराये के विचारों का उद्भास ' ।
- सत्य (वर्णधर्म) पर अटल यह परिवार संकट के समय में भी एक दूसरे की मदद (कथानक में रानी तारामती कृशकाय हुए हरिश्चन्द्र का घड़ा इसलिए सिर पर नहीं रखवाती, क्योंकि वह एक ब्राह्मण की क्रीतदास है और राजा काशी के कालू नामक चांडाल (दलित) का श्मशान रक्षक।
- जर्मन नाटककार ब्रेष्ट का नाटक ‘ कॉकेशियन चाक सर्कल ', भारत के भूमिहीन मेहनतकश खेत मजदूरों की कहानी कैसे बन सकी थी और यह भी कि काल और स्थान की सीमाओं को तोड़कर कैसे आम भारतीय के लिए रोमन क्रीतदास ‘ स्पार्टकस ' की कथा उनके लिए इतना प्रासंगिक हो गया था।
- जब आजाद भारत का अंगरेजी तंत्र हिन्दी को मारने का रचे षड़यंत्र करे देवनागरी को तिरस्कृत मातृभाषा को अपमानित उडाये भारतीय संस्कृति का उपहास पश्चिमी सभ्यता का क्रीतदास लगाये भारत के मस्तक पर अंगरेजी का चरणरज तब इस तंत्र में शामिल नमक हरमों को देशद्रोही, गद्दारों को कूड़ेदान में फेंकने के बदले अगर हम बैठाएं सिर-आँखों पर करें उनका जय-जयकार गुलामी स्वीकार
- मुनिवर, यह बड़े दुःख का विषय है कि शब्द आदि विषयों के विस्तार में दक्ष इन दैव आदि (पूर्व जन्म के कर्म आदि) से प्रपंच-रचनाओं द्वारा मोहित हुए हम लोग विक्रीत पुरुषों (गुलामों) के समान एवं वनमृगों के समान स्थित हैं अर्थात् जैसे विक्रीत पुरुष (क्रीतदास) अपनी इच्छा से कोई काम भी नहीं कर सकता और जैसे व्याधों द्वारा मधुर ध्वनि से विमोहित मृग कुछ भी चेष्टा नहीं कर सकते हैं वैसे ही दैव आदि द्वारा मोहित हम लोगों की अवस्था है।