कर्तव्य भावना sentence in Hindi
pronunciation: [ kertevy bhaavenaa ]
"कर्तव्य भावना" meaning in English
Examples
- युवा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि वर्तमान युवा पीढ़ी को अमर शहीद भगत सिंह से देश प्रेम और कर्तव्य भावना की सीख लेने की आवश्यकता है वह फरीदाबाद में भगत सिंह चौक पर अखिल भारतीय भगत सिंह ब्रिगेड द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित कर रहे थे।
- “ तू न अपनी चाह को अपने लिये कारा बनाना ” का संदेश और “ जाग तुझको दूर जाना ' ' का उद् बोधन उनके तत्कालीन राष्ट्रीय, सामाजिक परिवेश तथा स्थितियों के सम्बन्ध में व्यक्त हुए नितान्त गहरे भाव व तत् सम्बन्धी चिंता, सोच, कर्तव्य भावना को ध्वनित करता है।
- इस परिदृश्य को देखते हुए स्वाभाविक सवाल उठता है कि एम्स व अन्य उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों के लिए क्या कुछ ऐसे मापदंड विकसित नहीं किए जा जाने चाहिए, जिनसे इन ' खासा ` में देश की लोकतांत्रिक भावना के अनुकूल कर्तव्य भावना का स्वविवेक जगे या इनके मनमानेपन पर पहरा लगे?
- रोटी की जंग में अभिवावकों के पास इतना समय ही नहीं है कि वह अपने बच्चों में कर्तव्य भावना का बीज बोयें, साथ ही कर्तव्य परायणता का जीवन में कोई महत्व है, इसका ज्ञान उन्हें भी नहीं है, तभी वह यह सब बच्चों को भी देने के लिए चिंतित नहीं दिख रहे।
- अपनी ममता और कर्तव्य भावना को समाज के सामने प्रमाणित करने के लिए उसे अपनी पूरी शक्ति झोंक देनी पड़ती है साथ ही महिलाओं के वेतन का उपयोग करते हुए परिवार यह जतानानहीं भूलता कि ये सब वे अपनी खुशी और आजादी के लिए कर रही हैं और इसके साथ उन्हें अपनी घरेलू जिम्मेदारियां निभानी ही हैं..
- आदरणीय शशिभूषण जी, जीवदया, करुणा, कर्तव्य भावना और जागरूकता से भरी आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी | गाय को माता के समान माना गया है इसलिए अपनी माँ के समान ही उसका भी सम्मान और रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है | पर कितने कृतघ्न हम हैं, कितने आवारा! कुछ लुच्चे खा जाते हैं इनका भी चारा! हत्या कर परोस देते हैं तन थाली में! रक्त बहा देते हैं माता का नाली में!
- कारण जो भी हों, पर मूल बात फिर भी साफ नहीं हो रही है कि सोच किस की साफ है, मतलब कर्तव्य भावना या समाज या देशहित की चिंता किसी को है, नहीं है, तभी राजनेता मौज मार रहे हैं और तब तक मारते रहेंगे, जब तक आम आदमी तटस्थ होकर नहीं सोचेगा और आम आदमी तभी सोचने को मजबूर होगा, जब उसे उसकी शक्ति का अहसास होगा, इसलिए प्रबुद्ध वर्ग को आगे आना ही होगा और आम आदमी को वोट की ताकत का अहसास कराना ही होगा।