कर्णवेध sentence in Hindi
pronunciation: [ kernevedh ]
Examples
- आप जब भी अपनी संतान का कर्णवेध करवाएं उस समय ध्यान रखें कि ये तिथि न हो, बाकि किसी भी तिथि में उपरोक्त स्थिति होने पर यह संस्कार सम्पन्न किया जा सकता है।
- सोलह संस्कार-गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमान्त संस्कार, जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, चूड़ाकर्म संस्कार, कर्णवेध संस्कार, उपनयन संस्कार, वेदारम्भ संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार, वानप्रस्थ संस्कार, संन्यास संस्कार, अन्त्येष्टि संस्कार
- व्यास ने कहा है कि शूद्र लोग बिना वैदिक मन्त्रों के गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चौल, कर्णवेध एवं विवाह नामक संस्कार कर सकते है।
- कर्णवेध संस्कार तो लड़के / लडकी दोनों का ही होता है, आजकल लड़कों के कान छिदवाने बंद कर दिये, लेकिन फिर भी फैशन के नाम पर लड़कों का लुप्त संस्कार फिर लौट रहा है.
- कुछ लोगों के अनुसार वहां श्रीकृष्ण का कर्णवेध संस्कार हुआ था, अतः इसीलिये उसका नाम ' कान्हपुर ' पडा़. कुछ लोगों के अनुसार यह कर्ण की निवास-भूमि थी, इसलिये इसका नाम ' कर्णपुर ' था. लेकिन इन किंवदन्तियों पर सहज विश्वास नहीं होता.
- श्रवण धनिष्ठा शतभिषा पुनर्वसु पुष्य अनुराधा हस्त चित्रा स्वाति तीनों उत्तरा पूर्वाफ़ाल्गुनी रोहिणी मृगशिरा मूल रेवती और अश्विनी यह सभी नक्षत्र शुभ ग्रहों के दिन एवं मिथुन कन्या धनु मीन और कुम्भ यह लगन कर्णवेध के लिये उत्तम हैं, चैत्र तथा पौष के महिने एवं देव-शयन का समय त्याज्य है।
- विभिन्न धर्मग्रंथों में संस्कारों के क्रम में थोडा-बहुत अन्तर है, लेकिन प्रचलित संस्कारों के क्रम में गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह तथा अन्त्येष्टि ही मान्य है।
- हमारे धर्मशास्त्र में मुख्य रूप से 16 संस्कारों की व्याख्या की गई है इनमे सर्वप्रथम गर्भाधान और मृत्यु उपरांत अंत्येष्टि अंतिम संस्कार है | विभिन्न धर्मग्रंथों में संस्कारों के क्रम में थोडा बहूत अंतर है लेकिन प्रचलित संस्कारों के क्रम में गर्भाधान, पुंसवन, सिमन्तोनयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन चूडाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारंभ, केशांत, समावर्तन, विवाह तथा अंत्येष्टि ही मान्य है |
- हिंदू शास्त्र के अनुसार मनुष्य के जीवन में जो सोलह संस्कार जेसे कि गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोनयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्र-मण, अन्नप्राशन, कर्णवेध, चुडाकर्म, यज्ञोपवीत, विद्यारंभ, केशांत, स वर्तन, विवाह संस्कार इत्यादि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहुर्त में ग्रहों कि अनुकूलता के अनुसार किये जाएँ तो मनुष्य के जीवन में हर प्रकार कि सोख्याता स्वत: ही प्राप्त हो जाती है!
- महर्षि वेदव्यास के अनुसार मनुष्य के सृजन से विसर्जन तक (जन्म से लेकर मृत्यु तक) पवित्र 16 संस्कार संपन्न किए जाते हैं-1. गर्भाधान 2. पुंसवन 3. सीमन्तोन्नयन 4. जातकर्म 5. नामकरण 6. निष्क्रमण 7. अन्नप्राशन 8. चूड़ाकरण 9. कर्णवेध 10. उपनयन 11. केशान्त 12. समावर्तन 13. विवाह 14. वानप्रस्थ 15. परिव्राज्य या संन्यास 16. पितृमेध या अन्त्यकर्म।