ऊँचे स्वर से sentence in Hindi
pronunciation: [ oonech sevr s ]
"ऊँचे स्वर से" meaning in English
Examples
- आखिर के साल में एक विद्वान ब्राह्मण की सलाह से, जो परिवार के मित्र थे, उन्होंने गीता-पाठ शुरु किया था और रोज पूजा के समय वे थोड़े बहुत ऊँचे स्वर से पाठ किया करते थे ।
- नाद का अभिप्राय यह भी है कि ऊँचे स्वर से बोलकर या कड़क कर हम दूसरों को परास्त कर सकते हैं जैसे मेघ जब कड़क कर गर्जन करते हैं तो हृदय में कम्पन पैदा होता है, घबराहट आ जाती है.
- नाद का अभिप्राय यह भी है कि ऊँचे स्वर से बोलकर या कड़क कर हम दूसरों को परास्त कर सकते हैं जैसे मेघ जब कड़क कर गर्जन करते हैं तो हृदय में कम्पन पैदा होता है, घबराहट आ जाती है.
- साम्प्रदायिकता का प्राणपन से विरोध करने वाले मेरे वामपंथी मित्र सच्चाई को अपनी सहूलियत के अनुसार मरोड़ने, और उस मरोड़ी हुई सच्चाई का ऊँचे स्वर से प्रचार करने की दंगाई मानसिकता से कैसे ग्रस्त हो रहे हैं, यह मेरे लिए गम्भीर चिंता का विषय है।
- लेकिन इन गुणों का गायन केवल आदर्श-पध्दति पर नारी-गौरव गान नहीं है, बल्कि समीक्ष्य-काव्य इनकी चर्चा करके पुरुष से प्रतिदान की चाहने की बात बहुत ऊँचे स्वर से करता है, पुरुष के दोहरे चरित्र को भी इन मूल्यों के आलोक में सामने रख देता है।
- उन दस में से एक मनुष्य जो सामरी था, जब उसने देखा कि वह चँगा हो गया है, तो उसने ऊँचे स्वर से परमेश्वर की बढ़ाई करते हुए वापस यीशु के पास लौट गया और यीशु के पाँवों में गिर कर उसका धन्यवाद करने लगा।
- साम्प्रदायिकता का प्राणपन से विरोध करने वाले मेरे वामपंथी मित्र सच्चाई को अपनी सहूलियत के अनुसार मरोड़ने, और उस मरोड़ी हुई सच्चाई का ऊँचे स्वर से प्रचार करने की दंगाई मानसिकता से कैसे ग्रस्त हो रहे हैं, यह मेरे लिए गम्भीर चिंता का विषय है।
- बहुत बिगड़कर सतीश ऊँचे स्वर से बहस करने लगा और विनय मेज़ पर पड़े हुए अपने प्रति उपहार कनेर के गुच्छे की ओर देखता हुआ लज्जा और क्षोभ से भरा मन-ही-मन सोचने लगा कि और नहीं तो केवल शिष्टाचार के लिए ही ललिता को उसके फूल स्वीकार कर लेने चाहिए थे।
- बहुत दिमाग लड़ाया, पर कोई श्लोक, कोई मंत्रा, कोई कविता याद न आयी तब उन्होंने सीधे-सीधे राम-नाम का पाठ आरंभ कर दिया, ' राम भज, राम भज, राम भज रे मन ', इन्होंने इतने ऊँचे स्वर से जाप करना शुरू किया कि चिंतामणि को भी अपना स्वर ऊँचा करना पड़ा।
- तुझसे मिलने के लिये मैं अकेला ही निकला था न जाने वह कौन है जो नीरव अंधकार में मेरा पीछा करता रहा उससे बचना तो चाहा लेकिन … बच न पाया उन्मक्त होकर बड़ी अकड़ से धरा से धूल उड़ाता रहा मेरे हृदय के उदगार को ऊँचे स्वर से दबाता रहा हे नाथ! वह नहीं जानता वो मेरा अहंकार ही है तभी तो … मैं लज्जित हूँ उसे अपने साथ लेकर तेरे द्वार पर कैसे आऊँ!