ऊँचे लोग sentence in Hindi
pronunciation: [ oonech loga ]
Examples
- श्रीमती जी ने खाने मे अरहर की डाल बना दी तो सुंदर लाल ने एक कटाक्ष कर ही दिया “ ऊँचे लोग ऊँची पसंद ”, जबकि उसको पता नहीं था की जब कोई मेहमान खाने पे आता है, तभी हम लोग अरहर कि दाल खाते है.
- ६ ० और ७ ० के दशकों में उन्होंने सुहागन, औरत, ऊँचे लोग, तस्वीर, रात और दिन, प्यासी शाम, सफ़र, एक पहेली, गीता मेरा नाम, अनजान राहें, काला सोना, नागिन, खोते सिक्के, कच्चे हीरे सरीखी दर्जनों फिल्मों में अभिनय किया.
- तभी तो जब वो विविध भारती पर ' जयमाला ' पेश करने सन् १ ९ ६ ८ में तशरीफ़ लाए थे, तब इस फ़िल्म को और इस गीत को याद करते हुए कहा था-” एक फ़िल्म बनी थी ' ऊँचे लोग ', जिसमें केवल तीन गानें थे और हीरोइन ना के बराबर।
- जहाँ वो सिर्फ अपनी भूख से ही दो चार हो पाते हैना तो वो लोग इस दुनिया का हिस्सा बन सकते है...और ना ही ये ऊँचे लोग (हम जैसे भी) उन्हें स्वीकार करंगेफिर भी आपके लेख सोचने को मजबूर करता है कि....अब तक ऐसा क्यूँ हो रहा है...ये फर्क क्यूँ?अपने ही देश में...गावों से इतना मतभेद क्यूँ?
- ' गंगा की लहरें ', ' ऊँचे लोग ', ' आकाशदीप ', ' एक राज़ ', ' मैं चुप रहूँगी ', ' औलाद ', ' इंसाफ़ ', ' बैक कैट ', ' लागी नाही छूटे राम ', और ' काली टोपी लाल रुमाल ' जैसी फ़िल्में आज भी सुरीले और हिट संगीत के लिए याद किए जाते हैं।
- कभी कुछ ऊँचे लोग दिखते हैं तो उन्हें कुछ ही आदर दे देती हूँ पर बराबरी वालों से बस तुच्छतागर्भित सहिष्णुता बरत लेती हूँ और निचले दर्जे की बात करने से ही अपने-आप में अपमान अनुभव करती हूँ वैसे भी उनकी औकात या बिसात क्या कि उन्हें लोगों में भी गिनती करूँ उनपर कभी गलती से जो मामूली नजर भी पड़ जाती है तो बहुत घृणा से भर जाती हूँ....
- पूरा ट्रायल ' इन कैमरा ' हुआ यानी बंद कमरे की अदालत थी और सिर्फ चुनिन्दा लोग,जिनमे जिम्मेदारियों पर बैठे ऊँचे लोग,विद्वान पत्रकार और लब्ध प्रतिष्ठ सामाजिक हस्तियाँ थी.जस्टिस खोसला,(जो गाँधी हत्या के उस मुकदमे के न्यायाधीश थे) ने बाद में अपनी लिखी किताब में लिखा की ” जैसा सब का मानना था मैं भी यही मानता था की नाथूराम कोई पागल हत्यारा होगा.
- आई मिलन की बेला, दुलारी फिल्मो के गीतों के साथ यह पुराने गीत भी फरमाइश पर सुनवाए गए-बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत गाता जाए बंजारामेरे यार शब्बा खैररविवार को दिल्ली का दादा, आया तूफ़ान, पतंगा, ऊँचे लोग फिल्मो के गीत सुनवाए गए और यह गीत-छुप छुप खड़े हो जरूर कोई बात हैंसोमवार को अभिनेता राजेन्द्र कुमार की पुण्य तिथि पर फरमाइश में से उन्ही की फिल्मो के गीतों को छांट कर सुनवाया गया।