उत्तरमीमांसा sentence in Hindi
pronunciation: [ utetremimaanesaa ]
Examples
- पूर्वमीमांसा 12 अध्यायों में तथा संकर्षणकांड 4 अध्यायों में जैंमिनि के नाम से तथा उत्तरमीमांसा (वेदांतसूत्र) 4 अध्यायों में बादरायण के नाम से प्रसिद्ध हुई।
- पूर्वमीमांसा 12 अध्यायों में तथा संकर्षणकांड 4 अध्यायों में जैंमिनि के नाम से तथा उत्तरमीमांसा (वेदांतसूत्र) 4 अध्यायों में बादरायण के नाम से प्रसिद्ध हुई।
- पूर्वमीमांसा 12 अध्यायों में तथा संकर्षणकांड 4 अध्यायों में जैंमिनि के नाम से तथा उत्तरमीमांसा (वेदांतसूत्र) 4 अध्यायों में बादरायण के नाम से प्रसिद्ध हुई।
- उत्तरमीमांसा में केवल वेद (आरण्यकों और उपनिषदों के) वाक्यों के अर्थ का निरूपण और समन्वय ही नहीं है, उसमें जीव,जगत् और ब्रह्म संबंधी दार्शनिक समस्याओं पर भी विचार किया गया है।
- उत्तरमीमांसा शारीरिक मीमांसा भी इस कारण कहलाता है कि इसमें शरीरधारी आत्मा के लिए उन साधनों और उपासनाओं का संकेत है जिनके द्वारा वह अपने ब्रह्मत्व का अनुभव कर सकता है।
- सांख्य (कपिल), योग (पतंजलि), न्याय (गौतम), वैशेषिक (कणाद), पूर्वमीमांसा (जैमिनी) एवं उत्तरमीमांसा अथवा ब्रह्मसूत्र (वादरायण व्यास) ।
- वेदों के कर्मकाण्ड प्रतिपादक वाक्यों में जो विरोध प्रतीत होता है, केवल उसके वास्तविक अविरोध को दिखलाने के लिये पूर्वमीमांसा की और वेद के ज्ञानकाण्ड में समन्वयसाधन और अविरोध की स्थापना के लिये उत्तरमीमांसा की रचना की गयी है।
- महाभाग्याद देवताया एक एव आत्मा बहुधा स्तूयते एकास्यात्मनोऽन्ये देवा: प्रत्यंगानि भवन्ति-हानोपाय इसी प्रकार जहां उत्तरमीमांसा में हानोपाय अर्थात मुक्ति का साधन ज्ञानियों तथा सन्यासियों के लिये ज्ञान के द्वारा तीसरे तत्व अर्थात परमात्मा की उपासना बतलायी गयी है।
- यह हुआ कि पूर्वमीमांसा भी उत्तरमीमांसा की तरह अद्वय आत्मा को मानकर ही निर्मित हुए हैं, तथापि पूर्वमीमांसा शरीर के अतिरिक्त कर्त्ता-भोक्ता आत्मतत्व को मानकर ही प्रचलित हुआ है, क्योंकि कर्म-सिद्धांत के अंतर्गत “कृतहानि” और “अकृताभ्यागम” निहित है ।और यहीं से
- इस कारण इन दोनों दर्शनों में शब्द प्रमाण को ही प्रधानता दी गयी है, दोनो दर्शनकार लगभग समकालीन हुये है, इसलिये श्री जैमिनि का भी वही समय लेना चाहिये जो उत्तरमीमांसा के प्रकरण में श्रीव्यासदेवजी महाराज का बतलाया गया है।