आस का पंछी sentence in Hindi
pronunciation: [ aas kaa penchhi ]
Examples
- AMअंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की वस्ल की रात न जाने क्यूँ इसरार था उनको जाने पर वक़्त से पहले डूब गए तारों ने बड़ी दानाई की उड़ते-उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की
- अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की वस्ल की रात न जाने क्यूँ इसरार था उनको जाने पर वक़्त से पहले डूब गए तारों ने बड़ी दानाई की उड़ते-उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की
- आप ने गायक सुबीर सेन का तो नाम सुना ही होगा, जी हाँ, वही सुबीर सेन जिन्होने ' कठपुतली ' में “ मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये ”, और फिर ' आस का पंछी ' में “ दिल मेरा एक आस का पंछी ”, और ' छोटी बहन ' में लता जी के साथ “ मैं रंगीला प्यार का राही दूर मेरी मंज़िल ” जैसे हिट गीत गाये थे।
- आप ने गायक सुबीर सेन का तो नाम सुना ही होगा, जी हाँ, वही सुबीर सेन जिन्होने ' कठपुतली ' में “ मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये ”, और फिर ' आस का पंछी ' में “ दिल मेरा एक आस का पंछी ”, और ' छोटी बहन ' में लता जी के साथ “ मैं रंगीला प्यार का राही दूर मेरी मंज़िल ” जैसे हिट गीत गाये थे।
- उजाड़ से इस बागीचे में, कभी आस का पंछी रहता था, बहार यहाँ पर बसती थी, रंगों-खुशबू का यह मरकज़ था, ज़मज़म-ऐ-तालाब सूख गया, प्यास ने पंछी मार दिया, ख़ुश्क मिज़ाज, इस समाज ने, इंसानियत को राख किया! आखरी बार सन सैंतालिस में, जो बीज बोये थे उम्मीदों के, पेड़ वो आज ठूंठ हैं, ख्वाब वो आज बंजर हैं, उठो, चलो, फिर उगाई करनी है, फिर से पानी देना है, मुल्क़ के इस जर जर पिंजर को जगाना है, जिंदा करना है!
- एक सपना समय उड़ चला सर्द हवा सा मन के आसमान का सूरज देता मगर दिलासा सपनों पर से हटा कुहासा रेंग लिये धरती पर कितना अब अम्बर से जुड़ने दो पतंग सरीखी रंग बिरंगी आशाओं को उड़ने दो कागज से भी कोमल हैं पर उलझ ना जाएँ जरा सा नई उमंगो का मांझा अब अपने हाथ मे आने दो पर फैलाए आस का पंछी छत-मुंडेर पर गाने दो हर्ष भरे नयनों से देखो रीता घट भी लगे भरा सा-संध्या सिंह लखनऊ से १.