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आत्मज्योति sentence in Hindi

pronunciation: [ aatemjeyoti ]
"आत्मज्योति" meaning in English  

Examples

  1. उदयं स्वप्रकाशेन, गुरुशब्देन कथ्यते ॥ विद्यायें चाहे कितनी भी गूढ़ हों, साधनायें चाहे कितनी भी कठिन हों, और चाहे शिष्य कितना भी अज्ञानी क्यों न हो परन्तु यदि वह पूर्ण श्रद्धा के साथ सद्गुरु के बतलाये हुये गुरु मंत्र का भजन, सुमिरन, सेवा, पूजा, ध्यान करता है तो मन के अन्दर स्वतः आत्मज्योति प्रकाशित हो जाती है ।
  2. पुनः ‘ आत्म ' (सः) रूप आत्मा और प्राण वायु के बीच आपसी घर्षण में एक तेज (ज्योति) उत्पन्न हुई जो आत्मज्योति अथवा दिव्य ज्योति (Devine Light) कहलायी । तत्पश्चात् ‘ वह ' (सः) ज्योति-मूर्त रूप (Form of Light) में परिवर्तित हो गयी, जो ज्योतिर्लिंग अथवा शिवलिंग कहलाया ।
  3. ब्रह्मनिष्ठ परम पूज्य श्री गुरूजी का संपूर्ण जीवन इतना अधिक सादा और सरल है कि उनको देखकर किसीको यह विचार भी नही आता है कि इस शुभ्रवेश में एक महान ब्रह्मनिष्ठ संत रात दिन लोक-कल्याण में रत है उन्हीं के पावन सान्निध्य में रहकर जिन्होंने आत्मज्योति जलाई ऐसे ब्रह्मनिष्ठ पूज्यपाद श्री गुरूजी द्वारा वही कार्य इस प्रकार हो रहा है जैसे एक बीज विशाल वटवृक्ष के रूप में फूल फल रहा हो...
  4. ब्रह्मनिष्ठ परम पूज्य श्री गुरूजी का संपूर्ण जीवन इतना अधिक सादा और सरल है कि उनको देखकर किसीको यह विचार भी नही आता है कि इस शुभ्रवेश में एक महान ब्रह्मनिष्ठ संत रात दिन लोक-कल्याण में रत है उन्हीं के पावन सान्निध्य में रहकर जिन्होंने आत्मज्योति जलाई ऐसे ब्रह्मनिष्ठ पूज्यपाद श्री गुरूजी द्वारा वही कार्य इस प्रकार प्रचार हो रहा है जैसे एक बीज विशाल वटवृक्ष के रूप में फूल फल रहा हो.
  5. ब्रह्मनिष्ठ परम पूज्य श्री गुरूजी का संपूर्ण जीवन इतना अधिक सादा और सरल है कि उनको देखकर किसीको यह विचार भी नही आता है कि इस शुभ्रवेश में एक महान ब्रह्मनिष्ठ संत रात दिन लोक-कल्याण में रत है उन्हीं के पावन सान्निध्य में रहकर जिन्होंने आत्मज्योति जलाई ऐसे ब्रह्मनिष्ठ पूज्यपाद श्री गुरूजी द्वारा वही कार्य इस प्रकार विख्यात हो रहा है जैसे एक बीज विशाल वटवृक्ष के रूप में फूल फल रहा हो.....
  6. ब्रह्मनिष्ठ परम पूज्य श्री गुरूजी का संपूर्ण जीवन इतना अधिक सादा और सरल है कि उनको देखकर किसीको यह विचार भी नही आता है कि इस शुभ्रवेश में एक महान ब्रह्मनिष्ठ संत रात दिन लोक-कल्याण में रत है उन्हीं के पावन सान्निध्य में रहकर जिन्होंने आत्मज्योति जलाई ऐसे ब्रह्मनिष्ठ पूज्यपाद श्री गुरूजी द्वारा वही कार्य इस प्रकार प्रचार हो रहा है जैसे एक बीज विशाल वटवृक्ष के रूप में फूल फल रहा हो.....
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