अमौलिक sentence in Hindi
pronunciation: [ amaulik ]
"अमौलिक" meaning in English "अमौलिक" meaning in Hindi
Examples
- यहाँ हमारा तात्पर्य मात्र यह स्पष्ट करना है कि इतिहास, दर्शन, राजनीति, अर्थशास्त्र-इन सभी क्षेत्रों में अम्बेडकर का चिन्तन अमौलिक था, अगम्भीर था, अन्तरविरोधों से भरा था और बहुधा ग़लत था।
- आजादी के बाद से लेकर भूमंडलीकरण की प्रक्रिया के पहले तक भारतीय विश्वविद्यालयों मंे मौजूद अकादमिक तंत्र सामंती और पूंजीवादी संरचना के मेल से निर्मित अमौलिक, गैरसामाजिक, दकियानूस और शासकपोषित ज्ञान एवं चेतना के कारोबार में लगा रहा।
- उसी समय रोर्क का एक साथी छात्र, पीटर कीटिंग, जो अमौलिक (अपनी स्वयं की व्यक्तिगत सोच और क्षमता की बजाय दूसरो के काम और सोच के अनुसार चलने वाला) लेकिन लोकप्रीय है, कॉलेज से बहु-सम्मान के साथ उत्तीर्ण होता है।
- “हाँ, यह मेरी एक पुरानी लघुकथा से मिलती है…उसमें… ” इससे आगे उन्होंने क्या-क्या कहा मैं सुनकर भी समझ नहीं पाया क्योंकि मेरे लिए यह हैरानी की बात थी कि मैं आज से नहीं कई दशकों से अमौलिक लेखन कर रहा हूँ।
- पायो जी मैने राम रतन धन पायो वस्तु अमौलिक दी मेरे सतगुरु, किरपा करि अपनायो पायो जी मैने… जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो पायो जी मैने… खर्च ना खूटे वाको चोर ना लूटे, दिन दिन बढ़त सवायो पायो जी मैने…
- उसी समय रोर्क का एक साथी छात्र, पीटर कीटिंग, जो अमौलिक (अपनी स्वयं की व्यक्तिगत सोच और क्षमता की बजाय दूसरो के काम और सोच के अनुसार चलने वाला) लेकिन लोकप्रीय है, कॉलेज से बहु-सम्मान के साथ उत्तीर्ण होता है।
- यहाँ हम हर कृतित्व को अमौलिक मानने वाली संस्कृत परम्परा और हर ' ऑरिजनरी वृत्तांत' को संदेह से देखने वाले उत्तर-संरचनावादियों के साथ-साथ बोर्खेज जैसे लेखकों का भी स्मरण कर सकते हैं, जिन्होंने 'मूल' और 'अनुवाद', 'मौलिक' और 'अमौलिक' की पारस्परिक तथाकथित-ता को विसर्जित कर दिया।
- यहाँ हम हर कृतित्व को अमौलिक मानने वाली संस्कृत परम्परा और हर ' ऑरिजनरी वृत्तांत' को संदेह से देखने वाले उत्तर-संरचनावादियों के साथ-साथ बोर्खेज जैसे लेखकों का भी स्मरण कर सकते हैं, जिन्होंने 'मूल' और 'अनुवाद', 'मौलिक' और 'अमौलिक' की पारस्परिक तथाकथित-ता को विसर्जित कर दिया।
- चाहे लोकतांत्रिक व्यवस्था जनता को उनका मौलिक अधिकार देकर भी कितनी ही अमौलिक और निरर्थक क्यों न हों चाहे उसके वास्तविक मूल्यों में कितना भी भटकाव क्यों न आ गया हो लेकिन आज भी लोकतंत्र विश्व पटल पर एक सुसंगठित, सुसंस्कृत और सुव्यवस्थित शासन व्यवस्था का सूचक है।
- चाहे लोकतांत्रिक व्यवस्था जनता को उनका मौलिक अधिकार देकर भी कितनी ही अमौलिक और निरर्थक क्यों न हों चाहे उसके वास्तविक मूल्यों में कितना भी भटकाव क्यों न आ गया हो लेकिन आज भी लोकतंत्र विश्व पटल पर एक सुसंगठित, सुसंस्कृत और सुव्यवस्थित शासन व्यवस्था का सूचक है।