अभिमान करना sentence in Hindi
pronunciation: [ abhimaan kernaa ]
"अभिमान करना" meaning in English "अभिमान करना" meaning in Hindi
Examples
- यदि राष्ट्र-विरोधी तत्वों के खिलाफ आवाज उठाना साम्प्रदायिक है, यदि अपने उज्ज्वल अतीत और संस्कृति पर अभिमान करना साम्प्रदायिक है तो इस महान देश का आम आदमी छद्म-सेक्युलर होने के बजाए स्वयं को साम्प्रदायिक कहलाना ही अधिाक पसंद करेगा।
- यदि राष्ट्र-विरोधी तत्वों के खिलाफ आवाज उठाना साम्प्रदायिक है, यदि अपने उज्ज्वल अतीत और संस्कृति पर अभिमान करना साम्प्रदायिक है तो इस महान देश का आम आदमी छद्म-सेक्युलर होने के बजाए स्वयं को साम्प्रदायिक कहलाना ही अधिाक पसंद करेगा।
- यदि सत्तर पीढ़ियों से शस्त्र की सूरत न देखने पर भी लोग क्षत्रिय होने का अभिमान करते हैं तो पंडित देवदत्त का उन लेखों पर अभिमान करना अनुचित नहीं कहा जा सकता जिसमें सत्तर लाख रुपयों की रकम छिपी हुई थी।
- उसके बाद नई-नई चूड़ियों से भरे हाथों से उसका परोसा जाना, श्वसुर और जमाता का सम्मिलित रूप से भोजन करना और नई गृहिणी के भोजन की त्रुटियों पर परिहास किया जाना, इस पर मृगमयी का अभिमान करना, इन सब बातों से सबका मन पुलकित हो उठता था।
- अपनी धरा पर हमारे ही उच्च कोटि के साहित्यकारों की जैसी अवमानना होती है वह अन्य किसी देश में वहाँ के साहित्यकारों के साथ कभी नहीं हो सकती! कब हम अपने देश, अपनी भाषा और अपनी संस्कृति पर अभिमान करना सीखेंगे! बहुत ही बढ़िया आलेख! बधाई एवं शुभकामनायें!
- इसके अनुसार ज्ञान के कार्यों में विघ्न डालना, किसी की पुस्तक छिपा देना, परमेश्वर की वाणी के साथ अविनय करना अर्थात् किसी पुस्तक से हवा करना या फिर उसे जमीन पर पटक देना, ज्ञान होते हुए भी किसी को नहीं बताना, ज्ञान का अभिमान करना तथा ज्ञानी की निंदा करना आदि ज्ञानावरणीय कर्म बंद के कारण कहे गए हैं।
- क्षत्रियो ने त्याग और समर्पण से एक अलग इतिहास का निर्माण किया! सबसे ज्यादा दानी ; सबसे ऊँचा चरित्र, सबसे ज्यादा वीरता और बलिदान, सबसे ज्यादा राजनिष्ठा और देशप्रेम के अगर उदाहरण इतिहास के पन्नों पर देखे जाये तो आप को केवल क्षत्रिय नर-नारी ही नजर आयेंगे! भुत के इस महान विरासत का केवल अभिमान करना तभी सार्थक होगा जब हम अपने आचरण से क्षत्रिय संस्कार को जीवित रखेंगे! अपने एक घंटे के भाषण में उन्होंने तरह तरह के विचार ;
- आज वह समझता है उस भाव को, आज वह उस भयंकर यन्त्रणा का भी कुछ अनुमान कर सकता है, जिसे भोग चुकने के बाद ही उस विधवा माँ ने एक स्वरक्षात्मक अस्त्र की तरह यह अधिमान प्राणों में भरा होगा, वह यह भी समझ सकता है कि किस दृप्त अवमानना के भाव से वह फूलाँ को भी यह अभिमान करना सिखाती होगी-आज जब वह जानता है कि इस प्रकार यह समस्या दूर नहीं हो सकती, यह अभिमान अनुचित है, किन्तु यह जानकर भी उसकी विवशता से सहानुभूति और समवेदना का अनुभव करता है।