अतिविशाल sentence in Hindi
pronunciation: [ ativishaal ]
"अतिविशाल" meaning in English
Examples
- हमेशा अपने जीवन में ऐसे भय से निडर हो कर रहो जैसे भगवान विष्णु अतिविशाल गहरे सागर में शेष नाग की शैय्या पर लेट कर आनंद पूर्वक रहते हैं, ध्यान में रहते हैं।
- इस विकास के अनुरूप ही संघ की राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी (और इसके साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं) को सुदृढ़ करना हो तो अतिविशाल तकनीकी तथा अर्ध-तकनीकी शब्दों एवं अभिव्यंजनाओं का निर्माण करना होगा ।
- इजराइल के गणितज्ञ डोरोन ज़िल्बर्ज़र का यह सोचना है कि संख्याएँ बढ़ते क्रम में सदैव जारी नहीं रह सकतीं और ऐसी एक अतिविशाल संख्या अवश्य होगी जिसमें 1 जोड़ने पर हम पुनः शून्य पर आ जाएँ.
- आज एक पहेली है कि ब्रह्माण्ड में एक पदार्थ है, अतिविशाल मात्रा में है किन्तु उसे आत्मा की तरह न तो काटा जा सकता है, न जलाया जा सकता है, न गीला किया जा सकता है और न सुखाया जा सकता है।
- अपवादों को छोड दें तो किसी भी समाज में कोई भी व्यक्ति आर्थिक उन्नति कर सकता है, लेकिन उसके लिये जरूरत अतिविशाल पूँजी की नहीं, बल्कि उसकी अपनी सामान्य पूँजी के साथ साथ उसके विनिमय व निवेश के प्रति असामान्य समर्पण की जरूरत है.”
- अपवादों को छोड दें तो किसी भी समाज में कोई भी व्यक्ति आर्थिक उन्नति कर सकता है, लेकिन उसके लिये जरूरत अतिविशाल पूँजी की नहीं, बल्कि उसकी अपनी सामान्य पूँजी के साथ साथ उसके विनिमय व निवेश के प्रति असामान्य समर्पण की जरूरत है.”
- बिग बैंग में निर्मित एकध्रुवों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए इन नमूनों के उपयोग के प्रारंभिक परिणामों ने ब्रह्मांडीय प्रेक्षणों का खंडन किया-एकध्रुव इतने ज़्यादा और अतिविशाल होंगे कि उनका ब्रह्मांड में विस्तार बहुत पहले बंद हो गया होगा.
- अपवादों को छोड दें तो किसी भी समाज में कोई भी व्यक्ति आर्थिक उन्नति कर सकता है, लेकिन उसके लिये जरूरत अतिविशाल पूँजी की नहीं, बल्कि उसकी अपनी सामान्य पूँजी के साथ साथ उसके विनिमय व निवेश के प्रति असामान्य समर्पण की जरूरत है.
- आज एक पहेली है कि ब्रह्माण्ड में एक पदार्थ है, अतिविशाल मात्रा में है किन्तु उसे आत्मा की तरह न तो काटा जा सकता है, न जलाया जा सकता है, न गीला किया जा सकता है और न सुखाया जा सकता है।
- जब ब्रह्माण्ड में पिण्ड दिखे तो प्रश्न आया कि ये अतिविशाल जलते हुए पिण्डों का निर्माण किस तरह हुआ, मन्दाकिनियों, मन्दाकिनी-गुच्छों, फिर मन्दाकिनी-मण्डलों और फिर मन्दाकिनी-चादरों का निर्माण कैसे होता है? ब्रह्माण्ड का उद्भव तथा विकास कैसे हुआ?