स्पष्ट स्वर sentence in Hindi
pronunciation: [ sepset sevr ]
"स्पष्ट स्वर" meaning in English
Examples
- बीमारी की तीव्रता कम हो तो कुछ सीधी-सादी सरल सी बातें, जो एक दो शब्द या छोटे वाक्यों के रूप में, धीमी गति से स्पष्ट स्वर में, हावभाव के साथ बोली गई हों, समझ में आ सकती हैं।
- पहले कविता संग्रह में जहां कवि में हम शुरुआती द्वन्द्वों और आक्रोश को स्पष्ट स्वर न दे पाने की उसकी विवशता को महसूस करते हैं वहीं दूसरे कविता संग्रह में हम देखते हैं कि कवि का स्वर पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट,
- कंपनी के प्रवक्ता ने भी स्पष्ट स्वर में घोषणा की है कि ' ' न्यायालय के निर्णय से विवाद खत्म नहीं हुआ है, बल्कि हम लोग इस अभियान में उन सभी के साथ मिलकर काम करेंगे, जिनकी सम्बन्धित मुद्दे पर रूचि है।
- उन्होंने उर्मिला पवार की आत्मकथा को मराठी दलित आत्मकथाओं की शृंखला का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुये कहा कि ‘ आयदान ' में दलित स्त्रीवाद का एक स्पष्ट स्वर है जो जाति-उत्पीड़न और भेदभाव के पहाड़ को काटते हुये अस्तित्व में आया है ।
- “ प्रीति तो मुझे अपने पति से अब भी है | ” रानी चन्द्रबदन स्पष्ट स्वर में बोली-“ किंतु तुमसे मुझे कोई प्रीति नहीं है | इसके विपरीत मुझे तो संदेह है कि तुम कोई बहुरूपिए हो, जिसने मेरे पति का अहित करके उनका ये रूप धारण कर लिया है | ”
- प्रगतिशील शक्तियों से अपना सीधा सम्बन्ध स्थापित करने और अपनी कलात्मक ज़िम्मेदारी का पूरी तरह अनुभव कर लेने के बाद जब सरदार ने शायरी के मैदान में क़दम रखा और जो कुछ उसे कहना था बड़े स्पष्ट स्वर में कहने लगा तो शायरी की रूढ़िगत परम्पराओं के उपासकों का बौखला उठना ठीक उसी प्रकार आवश्यक था जिस प्रकार की १९वीं शताब्दी के प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार मोहम्मद हुसैन ‘आज़ाद ' को अठारहवीं शताब्दी के उर्दू के सर्वप्रथम जन-कवि
- प्रगतिशील शक्तियों से अपना सीधा सम्बन्ध स्थापित करने और अपनी कलात्मक ज़िम्मेदारी का पूरी तरह अनुभव कर लेने के बाद जब सरदार ने शायरी के मैदान में क़दम रखा और जो कुछ उसे कहना था बड़े स्पष्ट स्वर में कहने लगा तो शायरी की रूढ़िगत परम्पराओं के उपासकों का बौखला उठना ठीक उसी प्रकार आवश्यक था जिस प्रकार की १ ९ वीं शताब्दी के प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार मोहम्मद हुसैन ‘ आज़ाद ' को अठारहवीं शताब्दी के उर्दू के सर्वप्रथम जन-कवि ‘ नज़ीर ' अकबराबादी के यहां बाज़ारूपन और अश्लीलता नज़र आई थी।
- …… सफ़र घर को वापस लौट रही है, उदास, हताश, निराश! मैं और मदन जीजाजी ने अपने आंसू एक साथ शेयर किये! अब हम नहीं रोवेंगे! मेरे मन में कई सवाल थे जिसमे “ बाबुजी के बाद क्या औए कैसे? और गाँव का क्या और कैसे? ” यही चिंता मुझे सताती रही पर ध्यान बाबुजी के जीवन पर ही रहा! … मैं अपने विचारों में खोया हुआ था कि मुझे लगा जैसे बाबुजी की वाणी लौट आई है और वे स्पष्ट स्वर में कुछ कह रहे हैं, ……