स्नायुजाल sentence in Hindi
pronunciation: [ senaayujaal ]
"स्नायुजाल" meaning in English
Examples
- आमाशय परानुकंपी (उत्तेजक) और सहजानुकंपी (निरोधक) स्नायुजाल (अग्र जठरीय, पश्च, ऊर्ध्व और निम्न, उदरीय और आंत्रपेशी-अस्तर संबंधी रक्त वाहिनियां और तंत्रिका जाल), जो अपनी मांसपेशियों की स्रावण गतिविधि और प्रेरक (गतिजनक) क्रियाकलाप, दोनों को नियंत्रित करता है.
- आमाशय परानुकंपी (उत्तेजक) और सहजानुकंपी (निरोधक) स्नायुजाल (अग्र जठरीय, पश्च, ऊर्ध्व और निम्न, उदरीय और आंत्रपेशी-अस्तर संबंधी रक्त वाहिनियां और तंत्रिका जाल), जो अपनी मांसपेशियों की स्रावण गतिविधि और प्रेरक (गतिजनक) क्रियाकलाप, दोनों को नियंत्रित करता है.
- आमाशय परानुकंपी (उत्तेजक) और सहजानुकंपी (निरोधक) स्नायुजाल (अग्र जठरीय, पश्च, ऊर्ध्व और निम्न, उदरीय और आंत्रपेशी-अस्तर संबंधी रक्त वाहिनियां और तंत्रिका जाल), जो अपनी मांसपेशियों की स्रावण गतिविधि और प्रेरक (गतिजनक) क्रियाकलाप, दोनों को नियंत्रित करता है.
- यह थोड़े कम वपा और पेट से सामने से कवर होता है, जिसके पीछे उदरीय धमनी तथा उदरीय स्नायुजल की शाखाएं होती हैं, उनके नीचे प्लीहा संबंधित धमनी, अग्न्याशय, बाईं वृक्कीय शिरा, ग्रहणी का निचला हिस्सा, मध्यांत्र महाधमनिक स्नायुजाल है.
- यह थोड़े कम वपा और पेट से सामने से कवर होता है, जिसके पीछे उदरीय धमनी तथा उदरीय स्नायुजल की शाखाएं होती हैं, उनके नीचे प्लीहा संबंधित धमनी, अग्न्याशय, बाईं वृक्कीय शिरा, ग्रहणी का निचला हिस्सा, मध्यांत्र महाधमनिक स्नायुजाल है.
- शीघ्रपतन रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में विजातीय द्रव्य (दूषित द्रव) का जमा हो जाना होता है, जब यह दूषित द्रव शरीर के स्नायुजाल में रोग उत्पन्न करता है तो यह रोग हो जाता है।
- यह थोड़े कम वपा और पेट से सामने से कवर होता है, जिसके पीछे उदरीय धमनी तथा उदरीय स्नायुजल की शाखाएं होती हैं, उनके नीचे प्लीहा संबंधित धमनी, अग्न्याशय, बाईं वृक्कीय शिरा, ग्रहणी का निचला हिस्सा, मध्यांत्र महाधमनिक स्नायुजाल है.
- उदाहरण के लिए, स्नायुजाल जैसे पश्चात की समस्याओं, कि बनाया गया है जहां निशान ऊतकों की मरम्मत के लिए, या भी मुद्रा को सही है के मामलों में वोल्टेज में वृद्धि हासिल की एक मांसपेशी (अक्सर एक तंत्रिका तंत्र के लिए एक चोट से शरीर की रक्षा प्रतिक्रिया).
- का निष्कासन रंजित स्नायुजाल में इसके उत्पादन की अपेक्षा अधिक तेजी से होने लगे तो सुस्ती, गंभीर सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, प्रकाश संवेदनशीलता श्रवण-संबंधी अति संवेदनशीलता (ध्वनि संवेदनशीलता), मिचली, उल्टी, चक्कर आना, सिर का चक्कर, अर्ध-शिरः पीड़ा दौरे, व्यक्तित्व में बदलाव, हाथ या पैर में कमजोरी, 12}भेंगापन और दुहरी दृष्टि-जब मरीज सीधा खड़ा हो तो आदि अन्य जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं.