सौन्दर्यबोधी sentence in Hindi
pronunciation: [ saunedreybodhi ]
"सौन्दर्यबोधी" meaning in English
Examples
- १९९२ में स्व्यतोस्लाव रोरिक ने नग्गर ट्रस्ट कि आयोजक समिति से विशेष आग्रह कर के बाल शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दिलवाई जिससे बच्चों को इस प्रान्त की संपन्न प्रकृति और विशिष्ट परंपराओं से अवगत होने तथा रचनात्मक कार्यशालाओं के माध्यम से सांस्कृतिक और सौन्दर्यबोधी मूल्यों की खोज का अवसर मिल सके.
- और अगर हम न केवल सौन्दर्यबोधी विचारों बल्कि उनकी अभिव्यक्ति के तरीकों पर मेहनत करते हैं तो ऐसा हमारी लिखी कविताओं और गद्य के लिए होता है-इन कविताओं और गद्य में किसी दूसरे की इच्छा या समझ को बदल देने की मंशा नहीं होती-यह फ़क़त ऐसा है जैसे जब एक पाठक कविता को सस्वर पढ़ते हुए पढ़ने के व्यक्तिगत अनुभव को पूरी तरह सार्वजनिक बना देता है.
- और अगर हम न केवल सौन्दर्यबोधी विचारों बल्कि उनकी अभिव्यक्ति के तरीकों पर मेहनत करते हैं तो ऐसा हमारी लिखी कविताओं और गद्य के लिए होता है-इन कविताओं और गद्य में किसी दूसरे की इच्छा या समझ को बदल देने की मंशा नहीं होती-यह फ़क़त ऐसा है जैसे जब एक पाठक कविता को सस्वर पढ़ते हुए पढ़ने के व्यक्तिगत अनुभव को पूरी तरह सार्वजनिक बना देता है.
- यौवन के साथ थोड़ी उच्छृंखलता स्वाभाविक सी मानी जाती है लेकिन साफ सुथरे स्थानों पर पीक मारना, लोगों के मुँह पर धुँआ उड़ाना, स्त्रियों के साथ जुगुप्सित छेड़खानी करना, ताजी बनी दीवार पर भद्दे नारे लिख मारना, सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकना आदि आदि सब को सौन्दर्यबोधी चेतना के अभाव से जोड़ा जा सकता है और अगर कोई बताने का प्रयास करे तो उस पर उखड़ जाना अमानवीयता से।
- मुझ जैसे कुछ उन लोगों के लिए जो नहीं जानते कैसे जिया जाए, जीवन क्या है सिवाय परित्याग की मदद से अपने भाग्य को स्वीकारने और उस पर विचार करने के? धार्मिक जीवन को न जानते हुए और जान सकने में अक्षम होने पर, चूंकि विश्वास को तर्क द्वारा नहीं पाया जा सकता, और मनुष्य की अमूर्तन अवधारणा पर विश्वास करने और उस पर प्रतिक्रिया तक करने में अक्षम, हमारे पास जीवन के सौन्दर्यबोधी विचार के अलावा कुछ नहीं बचता कि हमारे पास आत्मा के होने का कोई तर्क हो.
- मुझ जैसे कुछ उन लोगों के लिए जो नहीं जानते कैसे जिया जाए, जीवन क्या है सिवाय परित्याग की मदद से अपने भाग्य को स्वीकारने और उस पर विचार करने के? धार्मिक जीवन को न जानते हुए और जान सकने में अक्षम होने पर, चूंकि विश्वास को तर्क द्वारा नहीं पाया जा सकता, और मनुष्य की अमूर्तन अवधारणा पर विश्वास करने और उस पर प्रतिक्रिया तक करने में अक्षम, हमारे पास जीवन के सौन्दर्यबोधी विचार के अलावा कुछ नहीं बचता कि हमारे पास आत्मा के होने का कोई तर्क हो.