समय विवेक sentence in Hindi
pronunciation: [ semy vivek ]
"समय विवेक" meaning in English
Examples
- इस समय विवेक विहार रेलवे स्टेशन पर एक ही कर्मचारी है, जो यहां पर प्रतिदिन आने वाले करीब 15 हजार यात्रियों के लिए टिकट काटने व पास बनाने तक के सभी काम करता है।
- इस समय विवेक अत्रे ने हरियाणा सरकार से दो साल की छुट्टी ले रखी है और एक प्राइवेट कंपनी के लिए काम कर रहे हैं, वहीं सीनियर आईएएस अफसर ललित शर्मा रिटायर हो चुके हैं।
- साफ है कि कोई भी राजनीतिक दल इस समय विवेक और अविवेक नहीं, उनको नेतृत्व देने वाले समूह द्वारा निर्धारित संकुचित हित-अहित के दायरे में विचार कर रहा है, इसलिए उसके व्यवहार में घातक अंतर्विरोध कायम रहता है।
- मैंने उसे यह कह कर चुप करा दिया था कि हम डर के समय विवेक और धैर्य जल्दी खो बैठते हैं, वह मेरी बात से थोड़ा सहमत हुआ लेकिन उसने कहा कि ये अगर वह सिर्फ़ मेरा वहां था तो उसे भी खटपट कैसे सुनाई दी.
- यह बात यथार्थ है कि क्रोध के आते ही विवेक चला जाता है, इस लिए पहली आवश्यकता भी यही है कि इस यथार्थ की गांठ बांध लेना कि उस समय विवेक साथ नहीं देगा, साथ ही विवेक छटकने के पूर्व ही उसका भरपूर उपयोग कर लेना चाहिए:)
- योजना थी कि शाम को वापस आते समय विवेक भाई को फोन करके मिलेंगें तो हम पैदल मार्च करते हुए बलौदा (स्थानीय उच्चारण के अनुसार 'बलउदा') के लिए जहॉं गाड़ी मिलती है वहां पहुच गए, लगभग आधे घंटे के इंतजार के बाद पहले से ही खचा-खच भरी हुई मिनी बस आई।
- और सारे क्लेश की जड काम:-आरूषि हेमराज क्रोध:-तलवार दम्पति (कोई भी क्रोध मे पागल हो सकता है पर अगर उस समय विवेक से काम लिया होता तो आज ए सब नही होता) लोभ:-जीवन यापन का पैसा होते हुए और अधिक पैसे की चाह
- पेड़ों को काटकर गिरा दिया ताकि पुलिस या सुरक्षा पहुंचाने के लिए कोई भी उस क्षेत्र तक ना पहुंच पाए और जो पुलिस वाले उस समय उस स्थान पर मौजूद थे उन्होंने सोचा कि यह समय विवेक से काम लेने का है ना कि वीरता दिखाने का इसीलिए वो भी अपने हाथ बांधकर बैठे रहे.
- योजना थी कि शाम को वापस आते समय विवेक भाई को फोन करके मिलेंगें तो हम पैदल मार्च करते हुए बलौदा (स् थानीय उच् चारण के अनुसार ' बलउदा ') के लिए जहॉं गाड़ी मिलती है वहां पहुच गए, लगभग आधे घंटे के इंतजार के बाद पहले से ही खचा-खच भरी हुई मिनी बस आई।
- मन का रुख अंदर की तरफ तब तक नहीं होगा, जब तक हम किसी पद, प्रतिष्ठा की, धन संपत्ति या फिर किसी से प्रशंसा की इच्छा रखेंगे | जब तक हम मन में कोई भी इच्छा रखेंगे, तो लालसा बनी रहेगी | अगर सिर्फ थोड़ी ही देर के लिए, हम कहें, ‘ मुझे इस दुनिया से कुछ नहीं चाहिए ', तब उस समय विवेक जागृत होता है और मन खुश और शांत हो जाता है |