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शुक्र धातु sentence in Hindi

pronunciation: [ shuker dhaatu ]

Examples

  1. शीत, मधुर, पित्त व दाहशामक खरबूजे का सेवन भी बहुत ही लाभदायी है किंतु दृष्टि व शुक्र धातु का क्षय करने वाले तरबूज का सेवन थोड़ी सावधानी से अल्प मात्रा में ही करना अच्छा है।
  2. कामुक विचार, कामुक चिंतन, कामुक हाव-भाव और कामुक क्रीड़ा करने के अलावा खट्टे, चटपटे, तेज मिर्च-मसाले वाले पदार्थों का अति सेवन करने से शरीर में कामाग्नि बनी रहती है, जिससे शुक्र धातु पतली होकर क्षीण होने लगती है।
  3. कामुक विचार, कामुक चिंतन, कामुक हाव-भाव और कामुक क्रीड़ा करने के अलावा खट्टे, चटपटे, तेज मिर्च-मसाले वाले पदार्थों का अति सेवन करने से शरीर में कामाग्नि बनी रहती है, जिससे शुक्र धातु पतली होकर क्षीण होने लगती है।
  4. शुक्रमेह: खरैटी (बला) की ताजी जड़ का छोटा टुकड़ा (लगभग 5-6 ग्राम) एक कप पानी के साथ कूट-पीस और घोंट-छानकर सुबह खाली पेट पीने से कुछ दिनों में शुक्र धातु गाढ़ी हो जाती है और शुक्रमेह होना बंद हो जाता है।
  5. की तकलीफ भी है / आयुर्वेद के रक्त परीक्षण में रस धातु सामान्य से कम और मान्स धातु सामान्य से कम और मज्जा धातु सामान्य से कम निकले, लेकिन शुक्र धातु सामान्य से अधिक निकली / जिन रोगियो के शुक्र धातु अधिक
  6. की तकलीफ भी है / आयुर्वेद के रक्त परीक्षण में रस धातु सामान्य से कम और मान्स धातु सामान्य से कम और मज्जा धातु सामान्य से कम निकले, लेकिन शुक्र धातु सामान्य से अधिक निकली / जिन रोगियो के शुक्र धातु अधिक
  7. कामुक विचार, कामुक चिंतन, कामुक हाव-भाव और कामुक क्रीड़ा करने के अलावा खट्टे, चटपटे, तेज मिर्च-मसाले वाले पदार्थों का अति सेवन करने से शरीर में कामाग्नि बनी रहती है, जिससे शुक्र धातु पतली होकर क्षीण होने लगती है।
  8. शारीरिक संरचना से संबंधित कारणों में क्रोमोसोम का असामान्यता होना, जैसे कि क्लिनफिल्टर्स सिंड्रोम, जिसमें एक एक्स क्रोमोसोम अतिरिक्त रूप में पाया जाता है, वृषण के नीचे अंडकोष की थैली में न उतरना, शुक्राणुओं का निर्बल तथा गति शक्ति से हीन होना, शुक्र धातु का विकारयुक्त व पुष्ट न होना, शुक्रवाहिनी नली का न होना, गलसुआ रोग से भी शुक्राणुओं में कमी आती है।
  9. ये संख् या में सात होती है-रस धातु रक् त धातु मांस धातु मेद धातु अस्थि धातु मज् जा धातु शुक्र धातु सप् त धातुयें वातादि दोषों से कुपित होंतीं हैं जिस दोष की कमी या अधिकता होती है, सप् त धातुयें तदनुसार रोग अथवा शारीरिक विकृति उत् पन् न करती हैं आधुनिक आयुर्वेदज्ञ सप् त धातुओं को पैथोलांजिकल बेसिस आंफ डिसीजेज के समतुल् य मानते हैं
  10. शारीरिक संरचना से संबंधित कारणों में क्रोमोसोम का असामान्यता होना, जैसे कि क्लिनफिल्टर्स सिंड्रोम, जिसमें एक एक्स क्रोमोसोम अतिरिक्त रूप में पाया जाता है, वृषण के नीचे अंडकोष की थैली में न उतरना, शुक्राणुओं का निर्बल तथा गति शक्ति से हीन होना, शुक्र धातु का विकारयुक्त व पुष्ट न होना, शुक्रवाहिनी नली का न होना, गलसुआ रोग से भी शुक्राणुओं में कमी आती है।
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