वैमानिक शास्त्र sentence in Hindi
pronunciation: [ vaimaanik shaasetr ]
Examples
- चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित ‘ वैमानिक शास्त्र ' जिसमें एक उड़ने वाले यंत्र ‘ विमान ' के कई प्रकारों का वर्णन किया गया था तथा हवाई युद्ध के कई नियम व प्रकार बताए गए।
- महर्षि भारद्वाज के ग्रन्थ वैमानिक शास्त्र को पढ़ कर तारपांडे दंपत्ति ने उपरोक्त विमान बनाया था जो सौर उर्जा से उड़ता था, कहते हैं भास्कराचार्य ने सिद्धांत शिरोमणि ग्रन्थ की रचना की उसमें गोलाध्याय भाग में ये बताया कि पृथ्वी गोल है ।
- वैमानिक शास्त्र के पहले प्रकरण में प्राचीन विज्ञान विषय के पच्चीस ग्रंथों की एक सूची है, जिनमें प्रमुख हैं अगस्त्य कृत-शक्तिसूत्र, ईश्वर कृत-सौदामिनी कला, भरद्वाज कृत-अंशुबोधिनी, यंत्र सर्वस्व तथा आकाश शास्त्र, शाक्टायन कृत-वायुतत्व प्रकरण, नारद कृत-वैश्वानरतंत्र, धूम प्रकरण आदि।
- हैदराबाद के डॉ. श्रीराम प्रभु ने वैमानिक शास्त्र ग्रंथ के यंत्राधिकरण को देखा, तो उसमें वर्णित ३१ यंत्रों में कुछ यंत्रों की उन्होंने पहचान की तथा इन यंत्रों को बनाने वाली मिश्र धातुओं का निर्माण सम्भव है या नहीं, इस हेतु प्रयोंग करने का विचार उनके मन में आया ।
- वैमानिक शास्त्र में भरद्वाज मुनि ने विमान की परिभाषा, विमान का चालक जिसे रहस्यज्ञ अधिकारी कहा गया, आकाश मार्ग, वैमानिक के कपड़े, विमान के पुर्जे, ऊर्जा, यंत्र तथा उन्हें बनाने हेतु विभिन्न धातुओं का जैसा वर्णन किया गया है वह आधुनिक युग में विमान निर्माण प्रकिया से काफी मिलता है।
- उसका एक भाग वैमानिक शास्त्र है | इस ग्रंथ के पहले प्रकरण में प्राचीन विज्ञान विषय के पच्चीस ग्रंथों की एक सूची है, जिनमें प्रमुख है अगस्त्यकृत-शक्तिसूत्र, ईश्वरकृत-सौदामिनी कला, भरद्वाजकृत-अशुबोधिनी, यंत्रसर्वसव तथा आकाश शास्त्र, शाकटायन कृत-वायुतत्त्व प्रकरण, नारदकृत-वैश्वानरतंत्र, धूम प्रकरण आदि ।
- अभी दो तीन वर्ष पूर्व बेंगलूर के वायुसेना के सेवा निवृत्त अभियंता श्री प्रह्लाद राव की इस विषय में जिज्ञासा हुई और उन्होंने अपने साथियों के सहयोग से एक प्रकल्प वैमानिक शास्त्र रीडिसकवर्ड लिया तथा अपने गहन अध्ययन व अनुभव के आधार पर यह प्रतिपादित किया कि इस ग्रंथ में अत्यंत विकसित विमान विद्या का वर्णन मिलता है ।
- श्रीराम प्रभु ने वैमानिक शास्त्र ग्रंथ के यंत्राधिकरण को देखा, तो उसमें वर्णित ३ १ यंत्रों में से कुछ यंत्रों की उन्होंने पहचान की तथा इन यंत्रों को बनाने हेतु लगने वाली मिश्र धातुओं को बनाने की जो विधि लोहाधिकरण में दी गई है, उनके अनुसार मिश्र धातुओं का निर्माण संभव है या नहीं, इस हेतु प्रयोग करने का विचार उनके मन में आया।