विष्णुकान्त शास्त्री sentence in Hindi
pronunciation: [ visenukaanet shaasetri ]
Examples
- प् र. के महामहिम राज्यपाल प्रो. विष्णुकान्त शास्त्री जी का हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने अपने पत्र द्वारा मेरे लेखन कार्य की प्रशंसा करते हुए अपने आशीर्वचन भेजकर निरन्तर साहित्य-साधना करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया है।
- बहरहाल, हम जल्द ही रेलवे स्टेशन के रिटायरिंग रूम में पहुंच गये जहां कि पांडेयजी सफ़ेद झक्क कुर्ता-पायजामा में बैठे हमारा इंतजार कर रहे थे साथ में विष्णुकान्त शास्त्री की चुनी हुयी रचनायें पढ़ रहे होंगे क्योंकि किताब उनके पास रखी थी।
- बहरहाल, हम जल्द ही रेलवे स्टेशन के रिटायरिंग रूम में पहुंच गये जहां कि पांडेयजी सफ़ेद झक्क कुर्ता-पायजामा में बैठे हमारा इंतजार कर रहे थे साथ में विष्णुकान्त शास्त्री की चुनी हुयी रचनायें पढ़ रहे होंगे क्योंकि किताब उनके पास रखी थी।
- बहरहाल, हम जल्द ही रेलवे स्टेशन के रिटायरिंग रूम में पहुंच गये जहां कि पांडेयजी सफ़ेद झक्क कुर्ता-पायजामा में बैठे हमारा इंतजार कर रहे थे साथ में विष्णुकान्त शास्त्री की चुनी हुयी रचनायें पढ़ रहे होंगे क्योंकि किताब उनके पास रखी थी।
- सन् २००२ में राष्ट्रीय विज्ञान काँग्रेस का आयोजन भी एक विशेष उपलब्धि है जिसमें भारत रत्न से विभूषित, भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री ए०पी०जे० अब्दुल कलाम, प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई, राज्यपाल-श्री विष्णुकान्त शास्त्री के साथ अनेक अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध वैज्ञानिको ने सहभागिता की थी।
- सन २ ०० २ में राष्ट्रीय विज्ञान काँग्रेस का आयोजन भी एक विशेष उपलब्धि है जिसमें भारत रत्न से विभूषित, भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री ए.प ी. जे. अब्दुल कलाम, प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई, राज्यपाल श्री विष्णुकान्त शास्त्री के साथ अनेक अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध वैज्ञानिकों ने सहभागिता की थी।
- आप की सूची के अलावा जिन लेखकों की आलोचनाएँ मुझे सविवेकपूर्ण लगी हैं उन में पं. विष्णुकान्त शास्त्री, डॉ. नन्द किशोर आचार्य, डॉ. कृष्णदत्त पालीवाल, श्रीमती राजी सेठ, डॉ. महेन्द्र मधुकर, डॉ. निर्मला शर्मा, डॉ. महाराज कृष्ण वोहरा के नाम ले सकते हैं।
- खिलाफत आन्दोलन के विषय में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री की पुस्तक के कुछ अंश ज्ञानदत्त जी के पोस्ट “आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री उवाच” में उद्धृत हैं जिसका स्क्रीनशॉट मैं नीचे दे रहा हूँ: इन अंशों को पढ़ने से स्पष्ट रूप से ज्ञात हो जाता है कि गांधी जी का खिलाफत आन्दोलन सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण के सिवा और कुछ नहीं था।
- विष्णुकान्त शास्त्री जी एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न हमारे सामने रखते हुए पूछते है ः ' 'और फिर आधुनिकता को यह आदर्श चुनौती नहीं दे सकता? क्या यह उस से नहीं पूछ सकता कि आधुनिक प्राचुर्ययुक्त समाज बाहर से जितना भरा-भरा लगता है, भीतर से उतना ही खोखला नहीं है? भौतिक समृद्धि के साथ-ही-साथ मनुष्य की बेचैनी, छटपटाहट, हताशा, क्यों बढती जा रही है?