वाष्प इंजन sentence in Hindi
pronunciation: [ vaasep inejn ]
"वाष्प इंजन" meaning in Hindi
Examples
- अन्तर्दहन इंजन के विपरीत बहिर्दहन इंजन, (जैसे, वाष्प इंजन) में कार्य करने वाला तरल (जैसे वाष्प) किसी अन्य कक्ष में किसी तरल को गरम करके प्राप्त किया जाता है।
- एक अंग्रेज़ युवती कुतुहल से चेतक के वाष्प इंजन की तस्वीरें खींच रही थी, क्योंकि घोषणा हुई थी, और अखबार में भी छपा था कि चित्तौड़ से दिल्ली तक वाष्प इंजन के साथ चेतक की यह अंतिम यात्रा है.
- एक अंग्रेज़ युवती कुतुहल से चेतक के वाष्प इंजन की तस्वीरें खींच रही थी, क्योंकि घोषणा हुई थी, और अखबार में भी छपा था कि चित्तौड़ से दिल्ली तक वाष्प इंजन के साथ चेतक की यह अंतिम यात्रा है.
- इसके अतिरिक्त तीव्रगति वाष्प इंजन में जितने चक्कर प्रति मिनट होते हैं, वे अत्यंत मंदगति अंतर्दहन इंजन के चक्कर प्रति मिनट 4,000 या कुछ अधिक चक्कर का वेग रहता है, परंतु दौड़ की प्रतियोगिता (Motor Racing) के लिए बने इंजनों में चक्कर प्रति मिनट 6,000 के आसपास होते हैं।
- यदि रेलगाड़ी को चलाने के लिए वाष्प इंजन हो, तो उसके बॉयलर के वाष्प से, और बिजली के इंजन में मोटर द्वारा, एक वायुसंपीडक पंप चलाया जाता है, जिसमें इंजन पर लगी एक बड़ी मुख्य टंकी में 90 से 100 पाउंड प्रति वर्ग इंच की दाब से हवा भर दी जाती है।
- यदि रेलगाड़ी को चलाने के लिए वाष्प इंजन हो, तो उसके बॉयलर के वाष्प से, और बिजली के इंजन में मोटर द्वारा, एक वायुसंपीडक पंप चलाया जाता है, जिसमें इंजन पर लगी एक बड़ी मुख्य टंकी में 90 से 100 पाउंड प्रति वर्ग इंच की दाब से हवा भर दी जाती है।
- इसके अतिरिक्त तीव्रगति वाष्प इंजन में जितने चक्कर प्रति मिनट होते हैं, वे अत्यंत मंदगति अंतर्दहन इंजन के चक्कर प्रति मिनट 4,000 या कुछ अधिक चक्कर का वेग रहता है, परंतु दौड़ की प्रतियोगिता (Motor Racing) के लिए बने इंजनों में चक्कर प्रति मिनट 6,000 के आसपास होते हैं।
- अब यह दूरी मेल गाड़ी द्वारा एक घंटा 45 मिनट में पूरी होती है जबकि पहले वाष्प इंजन के समय यह तीन घंटे में तय होती थी, उत्तर से दक्षिण भारत को जोड़ने वाली दक्षिण एक्सप्रेस तथा जीटी एक्सप्रेस इस सेक्शन से चलने वाली सबसे पुरानी मेल व एक्सप्रेस गाड़ियों में थी।
- वाष्प इंजन का धुआँ रेल के डिब्बे में घुस रहा था, कोयले के बारीक कण बार-बार आँखों में प्रवेश कर रहे थे और जगदीशनारायण अपनी आखों को मलते हुए सोच रहे थे-“ जो किया, क्या सही किया? ” ट्रेन के बाहर घुप्प अँधेरा था, न कुछ दिखाई देता था, न कुछ समझ आता था।