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वक्री गति sentence in Hindi

pronunciation: [ vekri gati ]
"वक्री गति" meaning in English  

Examples

  1. शनि की वक्री चाल अक् सर हर साल आती है शायद ही कुछ अपवाद स् वरूप एकाध साल होता है जब शनि देव वक्री गति से नहीं चलते फलस् वरूप कभी कभी जितना आगे जाते है, उससे कहीं अधिक पीछे चले जाते हैं ।
  2. 5 जुलाई को मंगल का मिथुन राशि में आकर सूर्य, गुरु व बुध के साथ चतुर्ग्रही योग में आना तथा राहु से दृष्टित होना जो कि वक्री गति के शनि के साथ स्थित है, यह योग विश्व के विशिष्ट व्यक्तियों के लिए कष्टकारी रहेगा।
  3. मासारंभ में गुरु ग्रह का मिथुन राशि में उदित होना तथा वक्री गति के शनि से और राहु से नव पंचम योग में रहना तथा मंगल ग्रह से द्विद्वादश योग में रहना कुछ प्रांतों में उपद्रवी लोगों के उपद्रवी व हिंसक कार्यों में वृद्धि करेगा जिससे जनता में भय की भावना पैदा होगी।
  4. मासारंभ में गुरु ग्रह का मिथुन राशि में उदित होना तथा वक्री गति के शनि से और राहु से नव पंचम योग में रहना तथा मंगल ग्रह से द्विद्वादश योग में रहना कुछ प्रांतों में उपद्रवी लोगों के उपद्रवी व हिंसक कार्यों में वृद्धि करेगा जिससे जनता में भय की भावना पैदा होगी।
  5. सिद्धांत ज् योतिष ने यह तो स् पष् ट कर दिया कि कब ग्रह की मार्गी गति होती, कब अतिचाल होगी और कब वक्री गति होगी, लेकिन फलित ज् योतिष में इसके असर के बारे में स् पष् ट नहीं किया गया है कि ग्रहों की इस चाल का से क् या और क् यों असर में बदलाव आता है।
  6. चाँद चल ही दिया आखिर कितने ख्वाब रुके थे उसकी पलको पर वक्त वक्री गति लेकर गुजरा और इन्तजार और भी लम्बा हो गया जानती हूँ तारो की छाँव में ओस से मोती समेटे होंगे तुमने भी कुछ याद बाक़ी है अभी शेष दीखते अवशेष हैं शिकस्ता हुए सहर के खण्डहर पर कुछ हिचकियाँ भेजी जो तुमने सम्भाल कर रखली बंधकर खुद में खोलेंगे उन्हें फुर्सत के लम्हों में...
  7. यदि शुक्र की गति प्रतिदिन 1 डिग्री हो, तो शुक्र सामान्य गत्यात्मक शक्ति का होता है, इस दिन शुक् र.स ूर्य की कोणात्मक दूरी लगभग 46 डिग्री होती है तथा शुक्र पृथ्वी से औसत दूरी पर यानि लगभग 7 करोड़ किमी की दूरी पर स्थित होता है, यदि शुक्र की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से कम हो, तो शुक्र की गत्यात्मक शक्ति कुछ कम होने लगती है, लेकिन शुक्र वक्री गति में हो, तो शुक्र की गत्यात्मक शक्ति काफी कम हॅ जाती है।
  8. जिस श् ानि ने वक्री होकर तेल और लोहे को आसमान की ऊंचाईयों पर ले जाकर मंहगाई बढ़ा कर आम आदमी की पहुँच से बाहर कर दिया था, ज् योतिषीय विवेचना के अनुसार यही शनि आने वाली 3 मई को वापस मार्गी गति पर आ रहे हैं, इनकी वक्री गति समाप् त होकर मार्गी होते ही तेल और लोहे को वापस जमीन का रूख करना पड़ेगा वहीं अन् य ग्रहों की मार के चलते इन् हें भारी मन् दी के दौर से भी गुजरना पड़ सकता है ।
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