राहुल संकृत्यायन sentence in Hindi
pronunciation: [ raahul senkeriteyaayen ]
Examples
- उत्सुक पाठक यहाँ उद्धरित हेगेल की पुस्तक तथा राहुल संकृत्यायन की दर्शन-दिग्दर्शन के अलावा बर्टेंड रसेल की ‘ हिस्ट्री आफ वेस्टर्न फिलासफी ' सहित अन्य किताबें पढ़ सकते हैं.
- अचरज मे डालने वाली बात ये थी की उसके हाथ मे राहुल संकृत्यायन की घुमक्कड़ शास्त्र थी जो इस बात का पूरा प्रमाण थी की उसे भी घुमक्कडी करने मे आनंद आता है.
- पंडित राहुल संकृत्यायन ने कहा था “ हमारी नागरी लिपि दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है! ” जरूरत है मानसीकता में बदलाव की.... और यह होगा.... हम लायेंगे यह बदलाव!!!
- इसके तदन्तर बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में शिव सहाय चतुर्वेदी, राहुल संकृत्यायन, आचार्य चतुरसेन शास्त्री और डॉ. संपूर्णानंद जैसे हिंदी के साहित्यकारों ने विज्ञान कथाएं लिखकर इस विधा को आलोकित किया.
- इधर प्रसिद्ध रूसी उपन्यास “ जुर्म ऒर सजा ” भी पढ़ा ऒर भगवत शरण उपाध्याय की ' खून के छींटे इतिहास के पन्नों पर ', राहुल संकृत्यायन की ' वोल्गा से गंगा तक ' आदि पुस्तकों को दोबारा पढ़ा।
- महात्मा गाँधी, पुरुषोत्तम दास टंडन, पंडित जवाहरलाल नेहरु, बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर, महापंडित राहुल संकृत्यायन, भिक्षु जगदीश कश्यप, भिक्षु धर्मरक्षित आदि लोगो के साथ मिलकर वे भारत की आज़ादी की जंग में सक्रिय रहे।
- खान (मुस्लिम विद्वान) राहुल संकृत्यायन (हिन्दी / संस्कृत विद्वान) कैफी आजमी (उर्दू कवि) राम नरेश यादव (नेता, पूर्व मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के राज्यपाल) शबाना आजमी (बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री, राजनीतिज्ञ) अबू असीम आजमी (नेता) मुश्ताक अहमद आजमी (शिक्षाविद) शमीम
- लेकिन यहाँ यह सवाल उठ सकता है कि 535 ईसा पूर्व आखिर यूनान में ऐसी कौन सी भौतिक परिस्थितियाँ पैदा हो गयीं थी कि इतने क्रांतिकारी विचार सामने आये? राहुल संकृत्यायन अपनी किताब में इस प्रक्रिया की एक रोचक जानकारी देते हैं.
- साहित्य के इतिहास के प्रथम काल का नामकरण विद्वानों ने इस प्रकार किया है-1. डॉ.ग्रियर्सन-चारणकाल, 2. मिश्रबंधुओं-प्रारंभिककाल, 3. आचार्य रामचंद्र शुक्ल-वीरगाथा काल, 4. राहुल संकृत्यायन-सिद्ध सामंत युग, 5. महावीर प्रसाद द्विवेदी-बीजवपन काल, 6. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र-वीरकाल, 7. हजारी प्रसाद द्विवेदी-आदिकाल, 8. रामकुमार वर्मा-चारण काल ==आचार्य रामचंद्र शुक्ल का मत==
- इनमें के दामोदरन की ‘ भारतीय चिंतन परम्परा ', डी पी चट्टोपाध्याय कि ‘ लोकायत ' और ‘ भारतीय दर्शन ', राहुल संकृत्यायन की ‘ दर्शन-दिग्दर्शन ', एम हिरियन्ना की ‘ आउटलाइंस आफ इन्डियन फिलासफी ', श्रीनिवास सरदेसाई की भारतीय दर्शन-वैचारिक और सामाजिक संघर्ष ' जैसी किताबें भारतीय दार्शनिक परम्परा की विभिन्न प्रवृतियों की जनोन्मुख तथा प्रगतिशील व्याख्या प्रस्तुत करती है.