बक़रीद sentence in Hindi
pronunciation: [ bekerid ]
"बक़रीद" meaning in English "बक़रीद" meaning in Hindi
Examples
- पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गाँव की 70 महिलाओं ने बक़रीद के मौक़े पर इमामों के फतवों और आपत्तियों की अनदेखी करते हुए नमाज़ पढ़ने के मामले में ' पुरुषों के एकाधिकार' को चुनौती दे दी है.
- बक़रीद के एक दिन पहले जारी किए गए इस संदेश में कहा गया है, “दुश्मन को पराजित और शर्मिंदा होकर इस इलाक़े से जाना होगा, अफ़ग़ानों का इतिहास गवाह है कि उन्होंने दुश्मनों को हमेशा मार भगाया है.”
- 4. मुसलमानों को बक़रीद अपने जैन भाईयों और शाकाहारी भाईयों की भावना का ध्यान रखत हुए ही मनाना चाहिए लेकिन दूसरे की भावना का ध्यान रखने का मतलब यह नहीं होता कि अपने रीति रिवाज को त्याग दिया जाए।
- हम बक़रीद पर एक क़ुरबानी करेंगे अच्छा, कितने का बकरा ये तीन हज़ार का होगा तीन हज़ार तो बहुत बड़ी रकम है अरे, तुमको नहीं मालूम, आज जो दो बकरे आ रहे हैं वे तीस तीस हज़ार के हैं
- बक़रीद के अवसर पर हमारे सब पाठकों और ग़ैर पाठकों को बहुत बहुत शुभकामनाएं! हमारे ब्लॉग के पाठक जानते ही हैं कि हमारे आदरणीय आर्यसमाजी भाई विजय कुमार सिंघल जी ने हमें वैदिक धर्म में वापस आने का न्यौता दिया था।
- पिछले तीन साल से शहर में सक्रिय मुस्लिम संस्थाएँ इस मुददे पर ज़ोर दे रही थीं कि शहर काउंसिल एक प्रस्ताव पारित करे, जिससे ईद और बक़रीद के त्यौहारों पर शहर के स्कूलों को बंद रखा जाए और मुस्लिम छात्र त्यौहार मना सकें.
- आईये इस बक़रीद के अवसर पर यह संकल्प लें कि हम धर्म और सत्य की रक्षा के लिए अपने हिंसा और अहिंसा भाव को पशुबलि अर्थात क़ुरबानी के ज़रिये वैसे ही संतुलित करेंगे जैसे कि हमारे पूर्वज ऋषि और पैग़म्बर किया करते थे।
- कुरबानी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बक़रीद के अवसर पर मुसलमानों द्वारा ऊँट, बकरा आदि पशु की बलि चढ़ाने की एक प्रथा ; पशुबलि 2. {ला-अ.} किसी सामाजिक या महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाने वाला आत्मत्याग ; आत्मबलिदान।
- जब बकरे से बड़ी मछली खाई जा सकती है तो फिर बकरे को भी खाया जा सकता है और जब ये सब रोज़ खाए जा सकते हैं तो फिर बक़रीद के दिन भी क्यों नहीं? ♥ मूर्ति वाले मंदिरों और मज़ारों पर जहां बलि दी जाती है या बलि के नाम पर बकरे का कान काट कर उसे बेच दिया जाता है, इसका विरोध आपके साथ हम भी करते हैं।
- जहाँ तक पशुवध की बात है तो भारत के कई मंदिरों में तो ये घिनौना काम खुलेआम होता है मगर हाँ इसे त्योहार कि शक्ल दे देना बहुत ही खेदजनक है और ऐसी परम्पराओं के निर्वाह से पहले किसी को खुद से पूछना चाहिए कि क्या कोई पैग़म्बर इस तरह की हिंसा की बात कर सकता होगा? बक़रीद की कथा के अनुसार हज़रत इब्राहीम ने अपने बेटे की क़ुर्बानी दी मगर उसकी जगह तुम्बा निकला ।