फुला हुआ sentence in Hindi
pronunciation: [ fulaa huaa ]
"फुला हुआ" meaning in English
Examples
- कच्छपका अर्थ है कछुआ और चूंकि इस वाद्य का आकार फुला हुआ इस जंतु की पीठ जैसाहोता है इसलिए इस वीणा का नाम कच्छपी वीणा रखा गया है.
- ढिंढोरची अरुण माथुर तो एक एक को बताता फिरता, “ बेटा देख लियो, सोफ़िया तो थोड़े दिनों में फुला हुआ पेट ले कर चलती दिखाई देगी।
- चाची ने मुझे देखा फिर मेरे प्यारे बाबुराव को.......और मेरी आँखों में देखते हुए धीरे से मुंह खोल कर मेरा लाल लाल फुला हुआ सुपाडा अपने होटों के बीच दबा लिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी......
- के बीच कड़ाई जैसा गोल आकार का फुला हुआ पेट और उसपर छत्री वाली नाभि-मुझे छोटी उम्र में वो एक अलग प्राणी लगती थी | घर पर कई बार, अपनी आलस्य से या मज्बोरी से.
- भई कल घूमते घूमते एक शहर की भीड़ भाड़ में पहुँच गया | मैं अपनी सांडाई में फुला हुआ मदमस्त चाल चलता चला जा रहा था! की अचानक कई सांड जैसी शक्ल वाले जिनावर सामने आखड़े हुए |बोले तू कोनसा सांड है??
- निशाजी मार्किट में जो ढोकला (खमण) मिलता हे वो काफी अच्छा फुला हुआ होता है जिसे नायलॉन खमण बोलते हैं उसके जेसा बनाने के लिए क्या करना चाहिए?निशा: शशि, बेसन का ढोकला आप बनाइये, अच्छा स्पंजी ढोकला बनता है, कोशिश कीजिये आप अच्छा ढोकला बनेगा.
- लेकिन लकीरों का फरेब... एक शब्द,एक वाक्य,के बाद हम वो नही हो सकते जो उसके पहले थे,....क्या कहूँ इन लफ्जों के साए में बैठकर बस गुलज़ार की एक नज़्म याद आती है गोल फुला हुआ सूरज का गुबार थक कर एक नोकीली पहाडी पे यूँ जाके टिका है जैसे अंगुली पे मदारी ने उठा रखा है गोला फूंक से ठेलो तो पानी में उतर जायेगा नीचे भक से फट जायेगा फुला हुआ सूरज का गुब्बारा छान से बुझ जायेगा एक ओर दहकता हुआ दिन
- लेकिन लकीरों का फरेब... एक शब्द,एक वाक्य,के बाद हम वो नही हो सकते जो उसके पहले थे,....क्या कहूँ इन लफ्जों के साए में बैठकर बस गुलज़ार की एक नज़्म याद आती है गोल फुला हुआ सूरज का गुबार थक कर एक नोकीली पहाडी पे यूँ जाके टिका है जैसे अंगुली पे मदारी ने उठा रखा है गोला फूंक से ठेलो तो पानी में उतर जायेगा नीचे भक से फट जायेगा फुला हुआ सूरज का गुब्बारा छान से बुझ जायेगा एक ओर दहकता हुआ दिन
- उसका पैंट तना हुअ था और काफी फुला हुआ था! मै समझ गई कि उसकी नजर मेरे बुब्स पर थी!मैने भी बहुत दिनो से नही चुदवाइ थी इसलिये मै गरम हो गयीऔर चुत फरवाने के लिये बेचैन हो गई! मै जानती थी कि वो तो बोलेगा ही नही इसलिये मैने अकेला देखकर सिधे अपनी बात कह डाली! और मुझे ग्रीन सिगनल मिल गई! मिलती भी क्यो नही,सारे लरके मुझे देखकर लार टपकाते थे! और वो भी मेरे बारे मे सोचकर कितनी बार मुठ मार चुका होगा!