परिघ sentence in Hindi
pronunciation: [ perigh ]
"परिघ" meaning in English
Examples
- 10. परिघ दण्ड (Parigh Dand): ज्योतिषशास्त्र कहता है कि यात्रा सफल और अनुकूल फलदायी हो इसके लिए मुहुर्त का विचार करते हुए परिघ दण्ड का भी आंकलन करना चाहिए।
- जब चन्द्रमा मघा से श्रवण नक्षत्र तक गोचरवश जब भ्रमण करता है तब पश्चिम और दक्षिण दिशा में शुभ तथा पूर्व और उत्तर दिशा में अशुभ फल देता है, इसे परिघ दण्ड कहते हैं।
- एक महीने की भीतर ही मैंने शूल, तोमर, परिघ, प्रास, शतघ्नी, खड्ग, पट्टिश, भुशुण्डि, गदा, चक्र आदि अनेक शस्त्रों का परिचय प्राप्त कर लिया ।
- जब चन्द्रमा मघा से श्रवण नक्षत्र तक गोचरवश जब भ्रमण करता है तब पश्चिम और दक्षिण दिशा में शुभ तथा पूर्व और उत्तर दिशा में अशुभ फल देता है, इसे परिघ दण्ड कहते हैं।
- (यह सुनकर) भयानक राक्षस योद्धा बाण, धनुष, तोमर, शक्ति (साँग), शूल (बरछी), कृपाण (कटार), परिघ और फरसा धारण किए हुए दौड़ पड़े।
- 7. एकार्गल दोष: विष्कंुभ, अतिगंड, शूल, गंड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिघ, वैधृति ये अशुभ योग विवाह के दिन हों तथा सूर्य नक्षत्र से विवाह नक्षत्र विषम हो तो एकार्गल दोष होता है।
- परिघ दण्ड का आंकलन किस प्रकार किया जाता है और यह किस प्रकार से यात्रा में शुभाशुभ प्रभाव डालता है आइये इसे समझें, गोचरवश चन्द्रमा घनिष्ठा से आश्लेषा नक्षत्र में भ्रमण करता है तो पूर्व और उत्तर दिशा में यात्रा करना शुभ होता है जबकि दक्षिण व पश्चिम दिशा में अशुभ फल देता है।
- परिघ दण्ड का आंकलन किस प्रकार किया जाता है और यह किस प्रकार से यात्रा में शुभाशुभ प्रभाव डालता है आइये इसे समझें, गोचरवश चन्द्रमा घनिष्ठा से आश्लेषा नक्षत्र में भ्रमण करता है तो पूर्व और उत्तर दिशा में यात्रा करना शुभ होता है जबकि दक्षिण व पश्चिम दिशा में अशुभ फल देता है।
- गंडांत में विवाह होने पर मृत्यु, वज्र में विवाह होने पर अग्निदाह, गंड में रोग, वैधृति म ंे वध्ै ाव्य, विष्कभ्ं ा म ंे कामातरु ता, पा्र ण सश्ं ाय, अतिगंड में धातुक्षय, व्याघात में मृतवत्सा और व्याधि, परिघ म ंे कन्या क े पर्राइ दासी होने की संभावना और शूल में विवाह होने पर घाव होता है।
- दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं:-विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।