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पदार्थवाद sentence in Hindi

pronunciation: [ pedaarethevaad ]
"पदार्थवाद" meaning in Hindi  

Examples

  1. यह निश्चित रूप से आज के पदार्थवाद के समान है, जिस में एक महाणु के रूप में उपस्थित पदार्थ में महाविस्फोट (बिग-बैंग) से आज के विश्व के विकास का सिद्धान्त सर्वाधिक मान्यता पाया हुआ है।
  2. यह निश्चित रूप से आज के पदार्थवाद के समान है, जिस में एक महाणु के रूप में उपस्थित पदार्थ में महाविस्फोट (बिग-बैंग) से आज के विश्व के विकास का सिद्धान्त सर्वाधिक मान्यता पाया हुआ है।
  3. एक ओर वैश्वीकरण के प्रभाव के चलते जहाँ पदार्थवाद और भोगवाद को प्रश्रय मिल रहा है वहीं वैज्ञानिक जिज्ञासा भी बढ रही है और इस कारण कोई भी विचार या मान्यता जो जिज्ञासु मन को शांत नहीं कर सकती अप्रासंगिक होती जायेगी।
  4. सुमिरन के उस क्षण में कई बार यह भी एहसास होता है कि यदि इस समय शरीर की यात्रा पूरी हो जाती है तो कोई पश्चाताप नहीं होगा क्यों की इस समय वो कुछ भी मेरे पास नहीं है, जिसे पदार्थवाद अथवा संसार कहा जाता है.
  5. वैदिक ज्योतिष मे रोहिणी को गण से मानव माना जाता है तथा गुण से इस नक्षत्र को राजसिक माना जाता है तथा अधिकतर वैदिक ज्योतिषी रोहिणी नक्षत्र के इस गुण तथा गण निर्धारण का कारण इस नक्षत्र का पदार्थवाद तथा सृजन से जुड़ा होने को मानते हैं क्योंकि ये दोनों ही विशेषताएं मानवीय तथा राजसिक हैं।
  6. जमाल में जिन्दा है भारत बस्ती में पिसता है भारत इण्डिया के तन्त्र से पीडि़त भारत निरन्तर बढते-चमकते-चहकते इण्डिया के विरुद्ध भोग और पदार्थवाद के विरूद्ध विज्ञापन और बाज़ारवाद के विरुद्ध सेकूलर शिक्षा और निर्मम अर्थ-तन्त्र के विरुद्ध सिद्धान्त-शून्य वोट-तन्त्र के विरुद्ध आस्था-शून्य विकास-तन्त्र के विरुद्ध संघर्षरत है भारत-विजय के लिये और विजय का विश्वास बढाता है स्लम-डाग मिलियोनर.
  7. जमाल में जिन्दा है भारत बस्ती में पिसता है भारत इण्डिया के तन्त्र से पीङीत भारत निरन्तर बढते-चमकते-चहकते इण्डिया के विरुद्ध भोग और पदार्थवाद के विरूद्ध विज्ञापन और बाज़ारवाद के विरुद्ध सेकूलर शिक्षा और निर्मम अर्थ-तन्त्र के विरुद्ध सिद्धान्त-शून्य वोट-तन्त्र के विरुद्ध आस्था-शून्य विकास-तन्त्र के विरुद्ध संघर्षरत है भारत-विजय के लिये और विजय का विश्वास बढाता है स्लम-डाग मिलियोनर.
  8. जासं, लुधियाना दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से कैलाश नगर में सत्संग का आयोजन किया गया। इसमें साध्वी रजनी भारती ने कहा कि आज का मानव अध्यात्मवाद को छोड़कर पदार्थवाद की तरफ जा रहा है। वह इस संसार को सत्य समझ बैठा है और इसे पाने के लिए दिन-रात स्वपन देखता है। इसी के चलते उसमें अहंकार, धोखा, बेईमानी आदि कई प्रकार की कुरीतियां जन्म ले रही हैं। सत्संग के दौरान साध्वी मनजीत भारती ने मधुर भजनों का गायन किया। इस अवसर पर हरपाल सिंह, महेश सैनी, जतिंदर शर्मा व अशोक कुमार आदि मौजूद
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