देवमंदिर sentence in Hindi
pronunciation: [ devemnedir ]
"देवमंदिर" meaning in English "देवमंदिर" meaning in Hindi
Examples
- किसी स्थानविशेष पर विशिष्ट महापुरुष के जन्म लेने, देवमंदिर होने, ऐतिहासिक महत्व, विशिष्ट प्रकार की सफलता, प्राकृतिक सुषमा, स्थानों की भौगोलिक विविधता के आधार पर अगणित तीर्थ बन गए हैं।
- किसी स्थानविशेष पर विशिष्ट महापुरुष के जन्म लेने, देवमंदिर होने, ऐतिहासिक महत्व, विशिष्ट प्रकार की सफलता, प्राकृतिक सुषमा, स्थानों की भौगोलिक विविधता के आधार पर अगणित तीर्थ बन गए हैं।
- गंगा आदि तीर्थो में मछलियाँ निवास करती हैं, देवमंदिरों में पक्षीगण रहते हैं किंतु उनके चित्त भक्तिभाव से रहित होने के कारण उन्हें तीर्थ सेवन और देवमंदिर में निवास करने से कोई फल नहीं मिलता।
- गंगा आदि तीर्थो में मछलियाँ निवास करती हैं, देवमंदिरों में पक्षीगण रहते हैं किंतु उनके चित्त भक्तिभाव से रहित होने के कारण उन्हें तीर्थ सेवन और देवमंदिर में निवास करने से कोई फल नहीं मिलता।
- उस स्त्री का घर भी देवमंदिर के समान अत्यंत भव्य था | श्रीदत्त उसके घर की सुन्दरता देखता ही रह गया | श्रीदत्त को अपने पीछे आता देख वह स्त्री शीघ्र ही अंदर चली गई |
- उत्तराखण्ड के मंदिरों, पौराणिक, धार्मिक स्थलों, देवस्थलों से संबंधित धार्मिक कहानियों, उन स्थलों तक पहुंचने के मार्ग, उपलब्ध सुविधाओं और फोटोज देखने के लिये देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देवमंदिर एवं उनसे संबंधित पौराणिक जनश्रुतियां लिंक पर जांये।
- वटे च धात्रिमूले वा मठे वृंदावने तथा॥ १ ५ ३ ॥ भगवती का मंदिर, गौशाला, अथवा कोई देवमंदिर, वट, आँवला वृक्ष, मठ अथवा तुलसी वन इसके लिए शुभ माने गये हैं॥ १ ५ ३ ॥ पवित्रे निर्मले स्थाने नित्यानुष्ठानतोऽपि वा।
- : “अखबारों में जब इतने सारे घटिया विज्ञापन देखता हूँ तब मन में विचार आता है कि प्रभु सेवा के लिए एकाध उत्तम देवमंदिर बनाने के बाद उसका खर्च चलाने के लिए उसके परिसर स्थित कोठरियाँ शराबखाने तथा वेश्याओं को किराए पर देने जैसा यह नहीं है? ”
- तेरा स्थान तो किसी रमणीय राजप्रासाद में अथवा दैवी देवमंदिर में ही हो सकता है । ' कमल ने कहा, ‘कवि! तेरी बात यथार्थ होगी; किन्तु अकेले, आश्रयहीन और अनाथ को आनंद प्रदान करनेवाला कोई तो चाहिये? जीवन का सच्चा संतोष मुझे इसी में मिलता है-इस सेवा में ।
- ' इस तरह की बात कभी हमारे शहर बनारस के सबसे ज्यादा सम्मानित बुजुर्ग कवि और सूफी शायर ' नजीर बनारसी ' ने कही तो लोगों को लगा कि यह कौन-सी परम्परा है, जिसमें विकसित होने वाला चौरासी बरस का एक बूढ़ा अपने को गंगा-यमुना संस्कृति का देवमंदिर, इबादतखाना मानकर बैठा हुआ है।